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सपा और सुभासपा(सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) का मनमुटाव अब सामने आ गया है। सियासी गलियारों में अपने बेबाक अंदाज के लिए प्रसिद्ध ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर तंज कसा है। इसके साथ ही उनके बयान के सियासी गलियारों में कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। सपा और सुभासपा के बीच चल रही आंतरिक रार अब दीवार बनती नजर आ रही है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण बृहस्पतिवार को देखने को मिला। लखनऊ में सुभासपा के विधायक मौजूद थे, लेकिन वे सपा कार्यालय में आयोजित बैठक में नहीं पहुंचे। जबकि जयंत चौधरी रालोद विधायकों को लेकर खुद पहुचे थे।राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लखनऊ आने पर सपा कार्यालय में विधायकों की बैठक बुलाई गई। सूत्र बताते हैं कि सपा कार्यालय से सुभासपा और रालोद के शीर्ष नेतृत्व को भी बैठक में आने के लिए कहा गया, लेकिन बाद में सुभासपा को बताया गया कि अभी बैठक तय नहीं है। फिर भी सुभासपा के सभी विधायकों को लखनऊ बुला लिया गया। वे लखनऊ में पहुंच कर बैठक में बुलावे आने का इंतजार करते रहे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे सुभासपा की नाराजगी बढ़ गई है।सूत्र बताते हैं कि इससे गठबंधन के बीच दीवार खड़ी हो गई है। सपा भी मनाने के मूड में नहीं दिख रही है। इस संबंध में पूछे जाने पर सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने खुद के प्रदेश से बाहर होने की बात कहने के साथ ही इस मामले में जानकारी होने से इनकार किया। लंबे समय से चल रहा है मनमुटाव -सपा और सुभासपा के बीच मनमुटाव विधान परिषद चुनाव को लेकर ही दिखने लगा था। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर चाहते थे कि विधान परिषद की चार सीटों में कम से कम एक सीट उन्हें मिले, जिससे उनका बेटा सदन में पहुंच सके। लेकिन अखिलेश यादव ने इनकार कर दिया। इससे आहत राजभर ने भी तंज कसते हुए कहा कि 34 सीट पर चुनाव लड़कर आठ जीतने वाले को राज्यसभा का इनाम मिला और 14 सीट लेकर छह जीतने वाले की अनदेखी क्यों? आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद राजभर ने अखिलेश पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह आजमगढ़ गए होते तो चुनाव जीत जाते। हम लोग धूप में प्रचार कर रहे थे और वे एसी में बैठे रहे। इस पर बुधवार को अखिलेश ने कहा कि सपा को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। कई बार राजनीति पर्दे के पीछे से चलती है।