8वें वेतन आयोग और डीए की असली कहानी, सरकार ने यह किया तो होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

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केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारी असमंजस में हैं कि उन्हें इस बार चार फीसदी महंगाई दर यानी ‘डीए’ का फायदा मिलेगा या नहीं। मौजूदा समय में सरकारी कर्मियों का डीए ’34’ फीसदी है। पहली जुलाई से डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी का इंतजार किया जा रहा है। केंद्रीय कैबिनेट, अगले दो तीन सप्ताह में ‘डीए’ बढ़ोतरी की फाइल को मंजूरी दे सकती है। इसके बाद 8वें वेतन आयोग के गठन की खबर को लेकर कर्मचारी परेशान हैं। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में कहा कि सरकार के सामने 8वें वेतन आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी नहीं कहा कि इसे सरकार नहीं लाएगी। उन्होंने राज्यसभा में बताया कि सातवें वेतन आयोग के अध्यक्ष ने यह अनुशंसा की थी कि 10 साल की लंबी अवधि की प्रतीक्षा किए बिना समय-समय पर मैट्रिक्स की समीक्षा की जा सकती है।

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ‘एआईडीईएफ’ के महासचिव एवं जेसीएम के सदस्य श्रीकुमार ने कहा, अगर केंद्र सरकार ने आठवें वेतन का गठन नहीं किया और पुरानी पेंशन व्यवस्था दोबारा से लागू नहीं की तो देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल हो जाएगी। केंद्र और राज्यों के कर्मी संयुक्त तौर पर केंद्र सरकार का विरोध करेंगे।

 

हर दस साल में वेतन आयोग का गठन होता रहा है …

सरकारी कर्मियों के वेतन में बढ़ोतरी के लिए हर दस साल में वेतन आयोग गठित होता रहा है। 7वें वेतन आयोग का गठन 24 फरवरी 2014 को हुआ था। इसकी सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं। सरकार ने इस आयोग की सिफारिशों को स्वीकर कर कर्मियों के वेतनमान में बढ़ोतरी की थी। जेसीएम के सदस्य श्रीकुमार ने कहा, दस साल में एक बार वेतनमान की समीक्षा होनी चाहिए। जब कभी डीए वृद्धि का ग्राफ 50 फीसदी से ज्यादा हो जाता है तो उसे कर्मियों की बेसिक पे में मर्ज किया जाता है। हालांकि इसमें भी सरकार, वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक कार्य करती है। इससे वेतनमान में बढ़ोतरी के अलावा कई दूसरे भत्तों में भी इजाफा होता है। सरकार को ये सब तो देना ही पड़ेगा। आठवें वेतन आयोग के गठन में अभी समय है। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो केंद्र और राज्यों के सरकारी कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के महासचिव और रक्षा मंत्रालय की जेसीएम 2 लेवल काउंसिल के सदस्य मुकेश सिंह को भी विश्वास है कि केंद्र सरकार समय पर 8वें वेतन आयोग का गठन करेगी। 2026 में अभी चार साल बाकी हैं। साल 2024-25 में मांग उठाई जाएगी।

डीए/डीआर में चार फीसदी बढ़ोतरी जल्द  

केंद्र सरकार के 48 लाख कर्मियों और 63 लाख पेंशनरों के लिए खुशखबरी है। महंगाई दर के हिसाब से केंद्र सरकार इस बार चार फीसदी डीए/डीआर में बढ़ोतरी कर सकती है। केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही पहली जुलाई से सरकारी कर्मियों और पेंशनरों को आर्थिक फायदा होगा। केंद्रीय कर्मचारियों को अभी 34 फीसदी दर से महंगाई भत्ता मिल रहा है। चार फीसदी भत्ता बढ़ने के बाद डीए की दर 38 फीसदी पर पहुंच जाएगी। कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि बताते हैं कि केंद्र सरकार इस दिशा में कुछ अलग सोच रही है। हालांकि अभी तक कर्मचारी संगठनों से इस दिशा में कोई बातचीत नहीं की गई है। मौजूदा व्यवस्था में जब डीए 50 फीसदी से ज्यादा हो जाता है तो उसे बेसिक पे में मर्ज करने का नियम है। ये भी तब होता है, जब वेतन आयोग इसकी सिफारिश करे। अब केंद्र सरकार में इस बात पर विचार चल रहा है कि एक तय सीमा तक डीए में बढ़ोतरी के बाद वेतन में ऑटोमैटिक रिविजन का सिस्टम तैयार किया जाए। सातवें वेतन आयोग के अध्यक्ष ने भी ऐसी अनुशंसा की थी कि वेतन वृद्धि के लिए 10 साल की लंबी अवधि की प्रतीक्षा क्यों की जाए। समय-समय पर मैट्रिक्स की समीक्षा कर कर्मियों को आर्थिक लाभ पहुंचाया जा सकता है।

क्या कहता है कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स, इतना बढ़ेगा वेतन …  

इंडेक्स, महंगाई के हिसाब से कम या ज्यादा होता है। जनवरी में 125.1 इंडेक्स बढ़ा था। फरवरी में यह इंडेक्स 125.0 रहा। मार्च में 126.0 और अप्रैल में 127.7 इंडेक्स ने उछाल लिया था। अप्रैल 2022 में एआईसीपीआई इंडेक्स के नंबर में 1.7 प्वाइंट का बड़ा उछाल दर्ज किया गया है। जून में रिटेल इंफ्लेशन मामूली गिरावट के साथ 7.01 फीसदी रहा है। कंज्यूमर प्राइस पर आधारित खुदरा महंगाई दर मई में 7.04 फीसदी थी। ऐसे में डीए, 38 फीसदी की दर से बढ़ेगा। किसी कर्मी का मूल वेतन 18 हजार रुपये है तो डीए की 38 फीसदी दर के हिसाब से उसके वेतन में 720 रुपये बढ़ जाएंगे। कर्मचारी का मूल वेतन 25 हजार रुपये है तो उस पर प्रतिमाह 1000 रुपये बढ़ेंगे। 35 हजार रुपये मूल वेतन लेने वाले कर्मियों को प्रतिमाह 1400 रुपये ज्यादा मिलेंगे। 45 हजार रुपये बेसिक सेलरी पर 1800 रुपये बढ़ेंगे। 52 हजार रुपये बेसिक सेलरी पर 2080 रुपये, 70 हजार रुपये बेसिक सेलरी पर 2800 रुपये, 85,500 रुपये बेसिक सेलरी पर 3420 रुपये और 1 लाख रुपये बेसिक सेलरी वाले कर्मियों के खाते में हर माह 4000 रुपये ज्यादा आएंगे।

‘जेटली फार्मूले’ में कही गई थी ये बात …

केंद्र सरकार, पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा सुझाए गए फार्मूले पर भी विचार कर रही है। इस फार्मूले में कहा गया था कि कर्मचारियों का वेतन, उनकी परफॉर्मेंस के आधार पर बढ़ाया जाए। इसे एक्रोयड फॉर्मूले का नाम दिया गया था। इसका मकसद था कि निम्न स्तर के कर्मियों को उनके वेतन में सम्मानजनक बढ़ोतरी का फायदा मिल जाए। मौजूदा प्रणाली में डीए बढ़ोतरी का उन कर्मियों को ही ज्यादा फायदा होता है, जो उच्च स्तर पर होते हैं। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने ऐसे संकेत दिए हैं। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स के आधार पर महंगाई की दर तय होती है। यूं कहें कि हर छह माह में केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में जो बढ़ोतरी होती है, वह कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर ही संशोधित होती है। पंकज चौधरी ने कहा था, केंद्रीय कर्मियों और पेंशनर्स के वित्तीय फायदों की समीक्षा के लिए, वेतन आयोग का गठन करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। पे मैट्रिक्स की समीक्षा और संशोधन के लिए नई व्यवस्था पर काम होना चाहिए। सरकार ऐसी व्यवस्था की तरफ आगे बढ़ रही है, जिसमें कर्मियों को डीए जैसे फायदे उनकी कार्य क्षमता के आधार पर तय हो सकते हैं।

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