Getting your Trinity Audio player ready...
|
विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश सरकार ने बुधवार देर रात बहुप्रतीक्षित प्रशासनिक फेरबदल कर दिया। सरकार ने पुराने दिग्गजों की मठाधीशी खिसका दी है वहीं नए चेहरों को मौका देकर साफ संकेत दिया है कि सरकार में काम करने वालों को ही मौका मिलेगा। सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की विदाई के साथ ही शासन में हुए बदलाव ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हलचल मचा दी है।
मंत्रियों और उप मुख्यमंत्री से अदावत रखने वाले अफसरों को साइड लाइन कर स्पष्ट कर दिया गया है कि सरकार की छवि और जनता से जुड़े मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम होगा। एमएसएमई, सूचना और खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के एसीएस नवनीत सहगल को खेलकूद विभाग में भेजना और राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव महेश गुप्ता को मुख्य धारा में वापस लाकर ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी देना शासन, सत्ता और राजनीति के गलियारे के लिए चौंकाने वाला रहा।
जानकारों का मानना है कि भले ही प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव स्तर के नौकशाहों की तबादला सूची रातोंरात जारी हुई हो लेकिन इसकी तैयारी करीब एक महीने पहले से की जा रही थी। अवस्थी को सेवा विस्तार नहीं मिलने की स्थिति में उनका गृह, गोपन विभाग किसी विश्वासपात्र और ऐसे अधिकारी को दिया जाना था जो पुलिस से समन्वय कर मुख्यमंत्री की अपेक्षाओं को पूरा कर सके। करीब तीन वर्ष से मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के रूप में काम कर रहे संजय प्रसाद को इसके लिए सबसे योग्य अफसर माना गया।
कृषि उत्पादन आयुक्त की ओर से ग्राम्य विकास विभाग के कामकाज में दिलचस्पी नहीं लेने की जानकारी सत्तारुढ़ दल के विधायक, सांसद और सरकार के मंत्री भी दे रहे थे। सूत्रों के मुताबिक उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी मनोज कुमार सिंह के कामकाज से खास संतुष्ट नहीं थे। लिहाजा सरकार ने एपीसी से ग्राम्य विकास विभाग लेकर कामकाज को लेकर सख्त छवि के अफसर डॉ. हिमांशु कुमार को ग्राम्य विकास विभाग में तैनात किया है।