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इटली में हुए राष्ट्रीय चुनाव में धुर दक्षिणपंथी और अति राष्ट्रवादी गठबंधन ‘द ब्रदर्स ऑफ इटली’ को बहुमत मिला है। इसकी अध्यक्ष जियोर्जिया मेलोनी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देश की कमान संभालने वाली पहली महिला होंगी। 1945 में देश के तानाशाह रहे मुसोलिनी के बाद उसकी पार्टी की समर्थक रही मेलोनी को प्रवासियों को देश में प्रवेश देने का विरोधी माना जाता है।
जानकारों के मुताबिक, वे गर्भपात विरोधी भी हैं। इटली का अचानक धुर दक्षिणपंथ ही ओर झुकाव यूरोप की भूराजनीतिक हकीकत बताने वाला है। इटली यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य तो है ही, तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी है। देश के मौजूदा हालात से नागरिक इस कदर बेजार थे कि केवल 64 फीसदी ने मताधिकार का प्रयोग किया।
पिछले चुनाव के बाद से बंद दरवाजों के भीतर समझौतों के माध्यम से तीन सरकारें बन चुकी हैं। मेलोनी की पार्टी अपना मूल नियो फासिस्ट सामाजिक आंदोलन में बताती है। सरकार गठन में अभी हफ्तों लगने की संभावना है। सोमवार सुबह जीत के बाद पहले भाषण में मेलोनी ने कहा, हमें लोगों ने देश के संचालन का मौका दिया है। हमारी सरकार इटली के सभी लोगों के लिए होगी। हमारा उद्देश्य देश के लोगों को संगठित करना है।
यूरोप में दक्षिणपंथ की बयार
इससे पहले इसी माह स्वीडन के संसदीय चुनावों में धुर दक्षिणपंथी ‘स्वीडन डेमोक्रैट्स’ देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वह संसद में दक्षिणपंथी विपक्षी गठबंधन में सबसे बड़ी साझीदार है। फ्रांस में भी इमैनुएल मैक्रों भले ही एक बार फिर राष्ट्रपति बने हों, लेकिन संसद में बहुमत पाने में विफल रहे। धुर दक्षिणपंथी विपक्षी गठबंधन ने संसद में अपनी ताकत इतनी बढ़ा ली कि कानून पारित करने लिए विपक्ष की सहमति आवश्यक हो गई है। हंगरी और पोलैंड में भी दक्षिणपंथी पार्टियां उभार पर हैं।
रूस समर्थक आवाजें उठीं
रूस के मामले पर मेलोनी के गठबंधन के सहयोगियों का सुर अलग हैं। उनके सहयोगी बर्लुस्कोनी और साल्विनी दोनों के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ रिश्ते रहे हैं, लेकिन यूक्रेन पर आक्रमण का उन्होंने समर्थन नहीं किया था। साल्विनी ने हालांकि चेतावनी दी थी कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से इटली पर ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।