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जौनपुर : “शाश्वत परमात्मा के साथ नाता जोड़ने से ही जीवन खुशहाल बन सकता है |” उक्त उद्गार मड़ियाहू पड़ाव स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन के प्रांगण में उपस्थित विशाल संत समूह को सम्बोधित करते हुए महात्मा श्याम लाल (संयोजक) जी ने महाराष्ट्र के 56वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन संदेशो को बताया।
यह तीन दिवसीय समागम औरंगाबाद के बिडकीन डीएमआयसी के विशाल मैदानों में आयोजित किया गया है जिसमें देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तों एवं जनसाधारण ने भाग लिया जौनपुर जनपद से भी हजारो की संख्या मे निरंकारी संत महात्मा पहुचें |
सत्गुरु माता जी ने प्रतिपादन किया कि जीवन में जब किसी वस्तू का अभाव होता है तो उसकी प्राप्ति की हमें आस होती है | जब वह वस्तू प्राप्त हो जाती है तो कुछ समय के लिए हमें खुशी भी मिलती है | अपितु वह खुशी हमारे जीवन में निरंतर नहीं रह पाती | क्योंकि ये भौतिक वस्तुएं परिवर्तनशील एवं नाशवान होती हैं | इन संसारिक खुशीयों से ऊपर एक आनंद की अवस्था होती है जो केवल आनंद रूप एवं अविनाशी परमात्मा से इकमिक होने पर मिल पाती है |
सत्गुरु माता जी ने आगे कहा कि परमात्मा एक ऐसी सच्चाई है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता | परमात्मा जीवन में हर समय निरंतर बना रहता है | न वह घटता है न बढ़ता है | न यह जलता है न कटता है | यह किसी आकार के साथ बंधा हुआ नहीं है | ऐसे इस परम अस्तित्व पर आधारित जीवन जिया जाता है तो कोई भी बुरी अवस्था मन को दु:खी नहीं बना सकती और अच्छी अवस्था में भी हम अपनी सुध-बुध नहीं खो बैठते |
अंत में सत्गुरु माता जी ने कहा कि धार्मिक ग्रन्थों में भी यही समझाया गया है कि मनुष्य जन्म केवल भौतिक कार्यों के लिए नहीं मिला है बल्कि अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए इसी जन्म में हम अपनी आत्मा का नाता परमात्मा से जोड़कर जीते जी मुक्ति का लाभ प्राप्त करें |