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जौनपुर- सतगुरू बाबा हरदेव सिंह जी महाराज की स्मृति में ‘समर्पण दिवस’ दिनांक 13 मई, दिन शनिवार को सांय 5 से रात्रि 9 बजे तक, संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा में सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी के पावन सान्निध्य में आयोजित किया जा रहा है जिसमें समस्त निरंकारी परिवार एवं श्रद्धालुगण सम्मिलित होकर बाबा हरदेव सिंह जी के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।
इसी क्रम में मड़ियाहू पड़ाव स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर प्रताः 10 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक व जनपद के सभी निरंकारी सत्संग भवनो पर सतगुुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज की स्मृति में समर्पण दिवस के अवसर पर विशाल सत्संग का आयोजन किया जाएगा जिसमे सैकड़ो निरंकारी परिवार सम्मिलित होकर सतगुरु बाबा हरदेव जी के प्रति अपना श्राद्धा सुमन अर्पित करगें।
यह जानकारी स्थानीय मीडिया सहायक उदय नारायण जायसवाल ने देते हुए आगे बताया की बाबा हरदेव सिंह जी महाराज प्रेम, करूणा, दया और सादगी के जीवंत स्वरूप थे। उनका दिव्य रूप, सर्वप्रिय स्वभाव एवं विशाल अलौकिक सोच सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याणार्थ समर्पित थी। उन्होंने मिशन की बागडौर 36 वर्षो तक सम्भाली और उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि मिशन 17 देशों से चलकर विश्व के प्रत्येक महाद्वीप के 60 राष्ट्रों तक पहुंचा जिसमें राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संत समागम, युवा सम्मेलन एवं समाज सेवाओं का आयोजन प्रमुख रहा। उनके अमूल्य योगदान के फलस्वरूप मिशन को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति के साथ-साथ अनेक पुरस्कारों द्वारा भी सम्मानित किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निरंकारी मिशन को सामाजिक एवं आर्थिक परिषद के सलाहकार रूप में भी मान्यता प्राप्त हुई।
बाबा जी ने मानव मात्र को केवल ब्रह्मज्ञान का ही बोध नहीं करवाया अपितु जन-जन के हृदय में प्रेम की शीतल, निर्मल धारा को भी प्रवाहित किया। साथ ही निरंकारी इंटरनेशनल समागम (एन. आई. एस.) द्वारा दूर देशों में एकत्व एवं सद्भाव की प्रेरणा देने वाले संदेश को आध्यात्मिकता के माध्यम से भी प्रसारित किया। बाबा जी ने समाज के उत्थान हेतु अनेक परियोजनाओं को भी क्रियान्वित स्वरूप दिया जिनमें रक्तदान, स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण, महिला सशक्तिकरण इत्यादि गतिविधियां प्रमुख है।
‘नफरत की दीवारों को गिराकर प्रेम के पुलों का निर्माण करें’ इस तथ्य को विश्व के समक्ष जीवन्त रूप में प्रस्तुत करते हुए उन्होंने एक नया दृष्टिकोण रखा कि प्रत्येक रेखा जो दो राज्यों या देशों को विभाजित करती है, वास्तव में वह उन राज्यों और देशों को मिलाने वाली रेखा होती है। बाबा जी की अनगिनत सिखलाईयां जैसे ‘मानवता ही धर्म है’, “आपसी भाईचारा“ (यूनिवर्सल ब्रदरहुड) “विश्वबंधुत्व”, “मिलवर्तन”, “एकत्व में सद्भाव”, “दीवार रहित संसार”, “धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं“ इत्यादि सुंदर भावों को समूचे संसार में विस्तारित किया।
वर्तमान में सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज युगदृष्टा बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के सत्य संदेश के सुंदर स्वप्न को साकार करते हुए उसे जन-जन तक पहुंचाने हेतु प्रयासरत हैं जिनसे प्रत्येक निरंकारी भक्त प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन को सार्थक बना रहा है।