जम्मू-कश्मीर में चुनावी माहौल बनने लगा है। बीते कुछ दिनों से जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के मुखिया गुलाम नबी आजाद घाटी के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर सियासी रैलियां और जनता से संवाद स्थापित कर रहे हैं। गुलाम नबी आजाद की पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद शहजाद कहते हैं कि जम्मू कश्मीर में तो अब परिसीमन भी हो गया है। ऐसे में घाटी की राजनीतिक पार्टियों को किसी भी वक्त चुनाव के लिए तो तैयार रहना ही पड़ेगा। गुलाम नबी आजाद की पार्टी ने रविवार को घाटी में बैठक कर अपने चुनावी एजेंडे के साथ आगे की रणनीति पर काम भी करने का एलान कर दिया है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उनकी पार्टी घाटी में 370 हटाने से पहले वाले कश्मीर की वकालत कर रही है। इसी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पार्टी ने डोर टू डोर कैंपेन का भी पूरा प्लान तैयार कर लिया है।
महबूबा मुफ्ती पहुंची खीर भवानी मंदिर
सिर्फ गुलाम नबी आजाद ही नहीं, बल्कि पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने भी घाटी में सियासी माहौल बनाना शुरू कर दिया है। महबूबा मुफ्ती रविवार को घाटी के प्रमुख खीर भवानी मंदिर में ज्येष्ठ अष्टमी पर दर्शन करने पहुंची। इस दौरान उन्होंने घाटी के इस मंदिर में हिंदू-मुस्लिम एकता की बात कहते हुए सियासी माहौल को भी आगे बढ़ाया। खीर भवानी मंदिर से जुड़े नरेंद्र रैना बताते हैं कि महबूबा मुफ्ती ने रविवार को मंदिर में आकर दर्शन किए। राजनीतिक विश्लेषक एसएन कौल कहते हैं कि बीते कुछ दिनों से घाटी में जिस तरीके की सियासी हलचल बढ़ी है उससे ऐसा महसूस हो रहा है कि चुनाव कभी भी कराए जा सकते हैं। उनका मानना है कि घाटी में जिस तरीके से केंद्र सरकार ने जी 20 के सफल आयोजन को कराया है उसका भी घाटी में सियासी तौर पर बड़ा फायदा मिल सकता है। इसलिए इस नजरिए से भी कश्मीर की सियासी पार्टियां खुद को चुनाव के लिए मजबूत और तैयार कर रही हैं।
भाजपा की पिच पर बैटिंग कर रहे हैं गुलाम!
घाटी में सियासी माहौल की आंच को इस तरह से भी मापा जा सकता है कि गुलाम नबी आजाद अब खुलकर अपने एजेंडे के साथ आगे बढ़ने लगे हैं। एक कार्यक्रम के बाद गुलाम नबी आजाद ने रविवार को कहा कि वह घाटी में पुराना कश्मीर ही चाहते हैं। उनका कहना है कि वह नहीं चाहते हैं कि घाटी में कोई बाहर से आकर जमीन खरीदे। गुलाम नबी आजाद कहते हैं कि घाटी का अपना कानून हो और अपनी व्यवस्था के मुताबिक ही कश्मीर के लोगों की पुरानी व्यवस्थाएं जारी की जाएं। धारा 370 को हटाए जाने की मांग करते हुए लोगों से एक साथ जुड़ने की अपील की। गुलाम नबी आजाद की अचानक इस तरीके की शुरू हुई तेज बयानबाजी को लेकर राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
सियासी जानकारों का मानना है गुलाम नबी आजाद घाटी में धारा 370 की वकालत करते हुए केंद्र सरकार का जितना विरोध करेंगे, उतना ही वोटों का बंटवारा होगा और भाजपा को फायदा होगा। राजनीतिक विश्लेषक बीएन भट्ट कहते हैं कि फारूक अब्दुल्ला से लेकर महबूबा मुफ्ती लगातार धारा 370 की वकालत कर रहे हैं। घाटी के कद्दावर नेता और कांग्रेस से अपना दामन अलग कर नई पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद भी अगर इसी तरीके की केंद्र सरकार की मुखालफत करते हुए धारा 370 की वकालत करेंगे, तो घाटी में मुस्लिम वोट बैंकों में जबरदस्त बंटवारा होगा। जिसका फायदा नए परिसीमन के बाद भारतीय जनता पार्टी को होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
G20 के सफल आयोजन के बाद चुनाव सोने की तेज हुई अटकलें
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी घाटी में चुनाव कराने की मांग बीते कुछ समय से तेज कर दी है। भाजपा की कोर कमेटी से जुड़े हुए एक वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि पार्टी में बूथ स्तर पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। अनुमान यही लगाया जा रहा है कि नए परिसीमन के बाद घाटी में अनुकूल माहौल देखते हुए चुनाव कराए जा सकते हैं। पिछले साल 2022 में जम्मू कश्मीर में परिसीमन का काम पूरा हो गया। जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा और 5 लोकसभा सीटें तय हुईं। उस वक्त भी यही अनुमान लगाए जा रहे थे कि परिसीमन का काम पूरा होने के बाद घाटी में जल्द ही चुनाव कराए जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब जब घाटी में सफलतापूर्वक जी 20 का आयोजन हो चुका है और सियासी राजनीतिक दल भी सक्रिय हो चुके हैं, तो अनुमान लगाया जा रहा है कि घाटी में चुनाव का सियासी माहौल बनने लगा है।
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने जम्मू और कश्मीर में बूथ स्तर पर मजबूत काम करना शुरू कर दिया है। अन्य राज्यों की तरह घाटी में भी पार्टी बूथ जीता, तो चुनाव जीता के कॉन्सेप्ट पर ही सियासी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि चुनाव कब होगा, यह तो चुनाव आयोग तय करेगा, लेकिन उनकी भी तैयारियां चुनाव को लेकर पूरी हैं।