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*विनोबा विचार प्रवाह की पांच दिवसीय कश्मीर यात्रा पूर्ण हुई*
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। 24 से 26 सितंबर तक राष्ट्रीय संस्था हरिजन सेवक संघ के स्थापना दिवस के अवसर पर दादा डा शंकर कुमार सान्याल के आशीर्वाद से आयोजित सद्भावना सम्मेलन और नंदिनी शिविर में देश दुनिया के साथियों से भेंट के उपरांत समापन होने के बाद उर्मिला बहन हरदोई के साथ शाहजहांपुर आश्रम पहुंचना हुआ। 30 सितंबर को सबेरे 07 बजे का फ्लाइट श्रीनगर के लिए लखनऊ से लेना था। अतः रात 2 बजे सीधे विनोबा सेवा आश्रम बरतारा से पप्पू जी के साथ गाड़ी से निकलकर एयरपोर्ट 5 बजे पहुंचे। फ्लाइट ठीक समय पर चलकर अमृतसर होते हुए 10.30 बजे श्रीनगर पहुंचा । बाहर निकलते ही 11 बजे आयोजक वहां की सरकार और आयोजक संस्था जी जी एफ के लोगों ने स्वागत किया। शासन ने हर एक आने वाले गांधी जन को राज्य अतिथि मानते हुए अलग अलग लिएशन ऑफिसर और वाहन तथा अच्छे स्थान पर ठहरने की व्यवस्थाएं जुटाई थी। जो अपने में उम्दा किस्म की थीं। इस कार्यक्रम के सरकार के साथ अपने परिवार के ही साथी सूत्रधार पद्मश्री एस पी वर्मा जी जम्मू से आकर श्रीनगर में ही सभी के स्वागत और अन्य व्यवस्थाओं के लिए सर्किट हाउस में ठहरे हुए थे।
आज ही बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ । शर्लिंग होटल जहां सारे मेहमानों को ठहराया गया था। वहीं बैठकर स्वागत परिचय के बाद गोवा से 26 सितंबर को पधारे श्री कलानंद मणि जी से इतने दिन के अनुभव सुने।उन्होंने एक माह से शिक्षा विभाग।द्वारा चलाई गई *गांधी उत्सव* मुहिम का सुंदर प्रभाव बताया। उनकी दृष्टि से पीस शांति अमन का यह आखिरी मौका है इसे गंभीरता से उठाया गया है। मेरी होटल में न रुकने के संकल्प को डा एस पी वर्मा ने समझकर मुझे एक भाई फिजान खां साहब के घर ठहरने की व्यवस्था करा दी। मेरा सामान भी उनके बेटे ने अपनी गाड़ी में रख लिया,तब तक श्री सिद्धार्थ राय जी भी आ गए उन्होंने कहा कि बाबू जी हमारे साथ जहां हम अपने संबंध में रूके हैं वहां हमारे साथ रुकेंगे। फिर क्या था बैठक के बाद उनके साथ चश्मे शाही के एक हट में ठहरना हुआ।जो जे के राजभवन के निकट ही थी। एक अक्टूबर को ठीक 10 बजे हम सब डल लेक के तट पर एक कार्यक्रम स्वच्छता ही सेवा रखा गया था। वहां पर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा साहब का ग्यारह बजे आना हुआ, स्वागत संबोधन के बाद सभी से मिले, उनके साथ गाजीपुर में विनोबा सेवा आश्रम के बीते क्षण याद आए। स्वच्छ आग्रहियों को नाव देकर सम्मान करने के सिन्हा जी बोट से हम सबको साथ लेकर चार चिनार पहाड़ी पर गए जहां जलपान की व्यवस्था भी रखी थी। वापस आकर फिर एक बार विदा लेकर सिन्हा जी गए। उसी दिन प्रसिद्ध परी महल, वोटेनिकल गार्डन, और ललित होटल भी गए जहां गांधी जी और कश्मीर के राजा डा हरी सिंह की भेंट 05 अगस्त 1947 में हुई थी। कश्मीर के खानपान में चावल को दोनो समय प्राथमिकता दी गई है। हम सिद्धार्थ जी के साथ जहां ठहरे थे।वहां गाजीपुर के साथी द्वारा निर्मित भोजन आता था। मुख्य कार्यक्रम जिस विशेष अवसर हेतु जम्मू कश्मीर शासन और गांधी ग्लोबल फैमिली कहें या डा एस पी वर्मा कहें उन्होंने सभी को आने के सूत्रधार बने थे। कार्यक्रम स्थल एस के आई सी सी पहुंचने के लिए सबेरे आठ बजे निकलना था। वही समय मैराथन का भी था अतः सभी मार्ग रोक दिए गए गाड़ी लेने नहीं आ सकी अतः 5 किलोमीटर की पदयात्रा करके वहां पहुंचे। रास्ते में भी गाड़ी रोकी हुई थीं। खैर समय से काफी पहले सभी लोग पहुंच गए। जहां उप राज्यपाल महोदय के सलाहकार, राज्य के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव शिक्षा श्री आलोक कुमार निदेशक तसद्दुक हुसैन साहब एडिशनल सेक्रेटरी दीप राज जी ए डी जी विजय कुमार और राज्य के सभी वरिष्ठ अधिकारी अगवानी के लिए खड़े थे। उपराज्यपाल जी के आने पर सलामी और सीधे मशाल देने पहुंचे जहां अनेक बच्चे गांधी के विभिन्न रूप में बैठे थे। अंदर सभागार में पहुंचते ही राष्ट्रगान की आवाज के साथ गांधी जयंती कार्यक्रम की शुरुआत हुई। दीप प्रज्वलन पुष्पांजलिऔर उपराज्यपाल महोदय का स्वागत के साथ साथ ही देश के गांधीजनों का साइटेशन पढ़ना एस पी वर्मा का पहला पढ़ना शुरू कर सम्मानित किया गया। सम्मान के क्रम से ही वक्ताओं के बाद सभी को गाजीपुर के सिद्धार्थ राय दिल्ली के विजय कुमार शर्मा बंगलौर के एन नरेंद्र जी, कोयंबटूर के पी एस मूर्ति पूना के विश्वयात्री नितिन भाई मंदसौर मध्य प्रदेश के मुजफ्फर मसूदी गोवा के कलानंद मणि गांधी शांति प्रतिष्ठान के रमेश चंद्र शर्मा सुप्रीम कोर्ट के रामानंद यादव विनोबा सेवा आश्रम के मोहित कुमार मिर्जापुर के श्री विभूति मिश्रा को स्थान दिया गया था।अपने अपने स्थान से सभी सम्मान लेने आते थे तब तक तालियां बजती रहती थीं। अब बारी थी विचार रखने की यहां भी मेजवान एस पी वर्मा जी , विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार रमेश भइया, गांधी जी द्वारा निर्मित संस्था हरिजन सेवक संघ के उपाध्यक्ष श्री लक्ष्मी दास, दिल्ली विश्विद्यालय की प्रोफेसर रंजना मुखोपाध्याय और गांधी ग्लोबल फैमिली के सचिव श्री अशोक कपूर जी के विचारों के बाद मुख्य सचिव अनूप मेहता जी सलाहकार भटनागर जी और फिर उपराज्यपाल महोदय का बहुत ही सारगर्भित गांधी जी के चरणों में पूरी श्रद्धा से समर्पित चालीस मिनट का बदलते हुए कश्मीर का दर्शन कराते हुए अति ओजस्वी भाषण आभार के बाद राष्ट्रगान से समाप्त हुआ। स्वल्पाहार के बाद सर्किट हाउस में भोजन लिया और इंटरनेशनल होटल में श्रीनगर की अध्यक्ष बहन महजबी ने सम्मान किया और हम सब ढाई बजे सावनेरा में पहुंचे जहां सभी ने आदरणीय गुलाम नबी आजाद साहब के साथ गांधी जयंती मनाई गई जहां उनकी पार्टी के लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद थे जिसमें प्रमुख रूप से सरौरी साहब पूर्व कैबिनेट मंत्री जी भी थे। जो दीदी जी के समय से हमसबके साथ जुड़े थे।यहां आजाद साहब ने अपने संबोधन में1969 में विद्यार्थी जीवन में गांधी विचार से जुड़ाव बाबा विनोबा के आश्रम भ्रमण और दीदी के साथ सम्मेलनों में जुड़ाव और गांधी ग्लोबल फैमिली की अपनी यात्रा सुनाई। ठीक साढ़े चार बजे जम्मू काश्मीर के राजभवन में पहुंचे जहां उपराज्यपाल महोदय कहवा, काफी , चाय और अनेक प्रकार के उत्तर भारत के व्यंजन बनबाए हुए थे स्वयं सबको परोसवा रहे थे। वार्ता में काश्मीर की प्रगति का खूब जिक्र किया। एक नगर पालिका द्वारा दस हजार लोगों की उपस्थिति में मनी गांधी जयंती का विडियो भी दिखाया कहा आप इससे अंदाजा लगा सकते हो। कलानंद मणि जी ने अनुभव सुनाए श्री लक्ष्मी दास ने राष्ट्रीय स्तर की गांधी रिसर्च अकादमी बनाने की जो बात वर्मा जी ने रखी थी उसे समर्थन भी दिया। पूना के नितिन जी ने बच्चो के लिए समय देने का आश्वासन भी दिया। कर्नाटक के नरेंद्र और तमिलनाडु के मूर्ति ने यहां के बच्चों को अपने यहां पढ़ने के लिए बुलाने का प्रस्ताव रखा। वर्मा जी ने हर जिले के साथ हुए एम ओ यू को भी रक्खा। मोहित जी ने कश्मीर में भी हुआवे कैफ इंडिया जैसी संस्थाओं के सहयोग से काम कराने की बात रखी। गुजरात राज्य के अहमदाबाद में नवंबर के प्रथम सप्ताह में आयोजित होने वाले अचला फाउंडेशन के राष्ट्रीय स्तर के वृहत अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में उपराज्यपाल महोदय को आमंत्रित किया गया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। उसको कोऑर्डिनेट श्री दधीचि जी करेंगें। दिनांक तीन अक्टूबर को पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री गुलाम नवी आजाद जी ने सभी को भोज दिया। शाम को हम लोग झील में रात आठ बजे मीना बाजार और झील में होती जैविक खेती देखने गाजीपुर के हिमांशु जी के साथ शिकारा पर गए अद्भुत नजारा देखने को मिला हमारी नाव के पास ही अपनी नाव लाकर कहवा आदि नाश्ता आदि भी हुआ।विद्यार्थी जीवन में जिस काश्मीर को पढ़ा था उसे अपनी आंखों से अच्छे ढंग से देख सका । अब सभी की वापसी का सिलसिला शुरू हुआ। गांधी जनों ने पहली बार जाना कि राज्य अतिथि का क्या सम्मान होता है। एक एक lision ऑफिसर वाहन सहित सभी के साथ फिरदौस अहमद, एहसान इलाही, कयूम दर , खुर्शीद अहमद, चरन जीत सिंह हिलाल अहमद , शमीम अहमद इरफान अहमद, मोहम्मद रफीक , जमील अहमद , श्रीमती अफसान वली बहन, मुदाशिर अहमद , सरवर अहमद विनोद रैना जुल्फिकार भुट्टो आदि को शिक्षा विभाग ने लगाया था जो इतने व्यावहारिक और मृदुल भाषी थे।जिन्होंने एक एक मिनट सभी का बहुत ध्यान रखा। इन सब व्यवस्थाओं का श्रेय हम सबके सूत्रधार श्री एस पी वर्मा,श्रीमती वर्मा , नूर मलिक, सनाउल्लाह साहब , बीचू भाई, डा अयूब ,आबिदा बहन, महज़बिन बहन परवीन बहन आदि सभी को था। चार अक्तूबर को ठीक दस बजे वर्मा जी से विदाई लेकर एयरपोर्ट निकलना था लेकिन इस समय भेंट यहां के खादी ग्रामोद्योग आयोग के अधिकारी श्री के एन शर्मा जी से भेंट हुई उन्होंने कहा कि पंपोर में गांधी जी जिस चबूतरे पर बैठे थे वहां हम आपको ले चलते हैं। हम और एस पी वर्मा जी और मोहित निकले जल्दी जल्दी देखा बहुत सुंदर स्थान गांधी को समर्पित बना हुआ है। हम जल्दी ही वहां से निकल पड़े लेकिन रास्ते में एल जी साहब का अथवा सेना का कहीं निकलना होने से सब ट्रैफिक रोक दिया जाता है। आखिर वही हुआ हम रास्ते में ऐसे फंसे कि चिंता होने लगी क्योंकि यहां हर हालत में दो घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचना होता है। हम जल्दी जल्दी पहुंचे और हमारे साथी लोग वो आई पी प्रवेश से ले गए फिर भी तीन जगह चेक होता है।खैर बाबा की अनुकंपा से हम एक घंटे पहले अर्थात साढ़े बारह बजे पहुंच गए। दिल्ली में फ्लाइट बदलकर हम शाम साढ़े पांच बजे लखनऊ अमौसी एयरपोर्ट पहुंच गए । गाड़ी वही खड़ी करके आए थे। बाहर हमारे मित्र अनिमेष मिश्र जी इंतजार कर रहे थे जो एयरपोर्ट के एक विंग में काम करते हैं खूब अच्छा स्वागत और नींबू पानी नाश्ता कराके अपने दक्षिण भारत के जी एम साहब से मिलवाया और विदा किया। हालांकि कार्यक्रम के अनुसार डा रूपेश और डा रंजना जी और श्रीकृष्ण चौधरी जी से एक मीटिंग गोमतीनगर में रखी थी । लेकिन मोहित जी को ही गाड़ी चलाकर ले जाना था इसलिए उन सभी से क्षण मांगकर निकल गए।और साढ़े नौ बजे रात में आश्रम पहुंचे । वहां आश्रम परिवार के लोग कमला सिंह सीना शर्मा मुदित और सब प्रतीक्षा कर रहे थे। विमला बहन ने मोहित जी को सम्मान के लिए आशीर्वाद दिया। पहुंचते ही अपने अपने लाइजन ऑफिसर को फोन करके बताया कि हम लोग सकुशल आश्रम पहुंच गए।