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आईसीएआर-एनबीएफजीआर के निदेशक और सम्मेलन के सह-संयोजक डॉ. उत्तम कुमार सरकार ने सम्मेलन के महत्व और इस दिशा में आईसीएआर-एनबीएफजीआर की पहल का उल्लेख किया
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एक्वाटिक एनिमल एपिडेमियोलॉजी (आईएसएएई) द्वारा एक त्रैवार्षिक कार्यक्रम ‘एक्वाटिक एनिमल एपिडेमियोलॉजी (एक्वाएपी)’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाता है जो जलीय कृषि क्षेत्र के लाभ के लिए जलीय पशु महामारी विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले शोधकर्ताओं, उद्योग और हितधारकों के बीच प्रसार, नेटवर्किंग और रचनात्मक संपर्क के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड (एनएफडीबी) और एक्वाटिक बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन सोसाइटी (एबीसीएस) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन में आठ देशों के 25 अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों सहित लगभग 250 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
सम्मेलन का उद्घाटन 29 नवंबर 2023 को सम्पन्न हुआ। डॉ. जे.के. जेना, उप महानिदेशक (मात्स्यिकी विज्ञान और पशु विज्ञान), आईसीएआर, नई दिल्ली और सम्मेलन के संयोजक ने अपने अध्यक्षीय भाषण में भारत के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था के लिए जलीय कृषि क्षेत्र के परिवर्तनकारी विकास और योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने जलीय कृषि क्षेत्र के विविधीकरण और प्रबंधन के लिए महामारी विज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डाला और रोग निगरानी और मछली स्वास्थ्य प्रबंधन के क्षेत्र में आईसीएआर मत्स्य पालन संस्थानों की पहल पर बात की। उन्होंने डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) और महानिदेशक (आईसीएआर), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और श्री अभिलक्ष लिखी, आईएएस, मत्स्य पालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि, डॉ. केंटन एल. मॉर्गन, महामारी विज्ञान के पूर्व एमेरिटस प्रोफेसर, लिवरपूल विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम ने सम्मेलन के आयोजन में आईसीएआर-एनबीएफजीआर के प्रयासों की सराहना की और उल्लेख किया कि तकनीकी सत्र जलकृषि क्षेत्र के विकास में सहायता करेंगे।उन्होंने सभी प्रतिभागियों को खड़े होकर और ताली बजवाकर सत्र को ऊर्जावान बना दिया, जो एक छोटे योग ब्रेक के रूप में काम आया।सम्मानित अतिथि, डॉ. एडगर ब्रून, निदेशक, डिपार्टमेंट ऑफ एक्वाटिक एनिमल हेल्थ एंड वेलफेयर, नॉर्वेजियन वेटरिनरि इंस्टीट्यूट, नॉर्वे ने महामारी विज्ञान अनुसंधान के महत्व और जलीय कृषि विकास में इसकी प्रासंगिकता का उल्लेख किया। डॉ. इद्द्या करुणासागर, सेवानिवृत्त, वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी, एफएओ और एएमआर एवं एक्वाकल्चर बायोसिक्योरिटी के लिए एफएओ संदर्भ केंद्र, एनआईटीटीई विश्वविद्यालय, मैंगलोर ने जलीय कृषि प्रणालियों में मछली स्वास्थ्य प्रबंधन के मुद्दों को संबोधित करने में महामारी विज्ञान अनुसंधान की भूमिका पर बात की। तकनीकी सत्रों की स्मारिका सह सार पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। दुनिया भर के कुछ प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के रिकॉर्ड किए गए संदेश ऑनलाइन प्रसारित किए गए। डॉ. लैरी हैमेल, प्रोफेसर, प्रिंस यूनिवर्सिटी, एडवर्ड आइलैंड, कनाडा ने महामारी विज्ञान विषय के बारे में बात की जो अच्छे अनुसंधान और जलीय कृषि प्रबंधन प्रथाओं में मदद करता है। डॉ. सी. वी. मोहन, प्रधान वैज्ञानिक, वर्ल्डफिश, मलेशिया ने कहा कि सुरक्षित पोषण संबंधी जलीय कृषि उत्पादों का उत्पादन करने के लिए सुशासन और नीति दिशानिर्देशों की आवश्यकता है। डॉ. एडवर्डो लीनो, वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, एनएसीए, थाईलैंड ने सीमित जल संसाधनों के बारे में बात की जो जलीय कृषि विकास में बाधा डालते हैं, बदलती जलवायु परिस्थितियों में समस्या के समाधान के लिए समग्र हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए, आईसीएआर-एनबीएफजीआर के निदेशक और सम्मेलन के सह-संयोजक डॉ. उत्तम कुमार सरकार ने सम्मेलन के महत्व और इस दिशा में आईसीएआर-एनबीएफजीआर की पहल का उल्लेख किया। डॉ. नीरज सूद, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर-एनबीएफजीआर और आयोजन सचिव ने सम्मेलन की पृष्ठभूमि और अवधारणा पेश की। आईसीएआर संस्थानों जैसे आईसीएआर-आईआईएसआर, आईसीएआर- सीआईएफआरआई, आईसीएआर-सीआईएफए के निदेशक भी इस अवसर पर उपस्थित थे। डॉ. पी.के. प्रधान, प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष, एक्जोटिक्स एंड एक्वाटिक एनिमल हेल्थ डिवीजन, आईसीएआर-एनबीएफजीआर और आयोजन सचिव ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञपित किया।
फ़िनफ़िश और शेलफ़िश रोगों की महामारी विज्ञान के विभिन्न पहलुओं, बीमारियों की निगरानी और रिपोर्टिंग, एक स्वास्थ्य और जलीय कृषि, जलीय कृषि में जैवसुरक्षा और जलीय जन्तु रोगों के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर विचार-विमर्श के लिए आठ तकनीकी सत्र और अलग-अलग पोस्टर सत्र आयोजित किए जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध विशेषज्ञ मुख्य वक्ता के रूप में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे और जलीय जन्तु स्वास्थ्य में मौजूदा चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा करेंगे। उम्मीद है कि एक्वाएपी-III बीमारी के जोखिमों को कम करने और जलीय कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए उपयुक्त सिफारिशें लेकर आएगा।