बड़ी मुश्किल से आ रहे राम लला टेंट व फाइबर युक्त मंदिर से भव्य राम मंदिर में

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बड़ी मुश्किल से आ रहे राम लला टेंट व फाइबर युक्त मंदिर से भव्य राम मंदिर में

जाने वर्ष 1528 में हुए बाबरी मस्जिद से राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा तक का लंबा सफर

डाक्टर अजय तिवारी

अयोध्या।22 जनवरी वर्ष 2024 के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी उसके बाद प्रभु श्री राम फाइबर निर्मित मंदिर से हटकर भव्य मंदिर में विराजमान होंगे।अगर देखा जाए राम जन्मभूमि के विवाद से लेकर राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के बीच तंबू व फाइबर युक्त मंदिर मे राम लला कई वर्षों तक रहे वही कई बार दंगों,अदालत की लड़ाई व फैसला के बीच में बाबरी मस्जिद को तोड़े जाना उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला आना के साथ-साथ आज 496 साल बाद राम लला का भव्य मंदिर तैयार हो चुका है।अगर इसका इतिहास देखें तो इसके लिए हमें वर्ष 1528 में जाना पड़ेगा।बताते चले 1528 में बाबर के अत्यंत करीबी सिपह सलाहकार मीर बाकी द्वारा राम जन्म भूमि मंदिर पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया। जिसमें तीन गुंबद बनाए गए थे।तब 23 सितंबर 1949 को एक गुंबद से प्रभु श्री राम की मूर्ति बरामद हुई इस मूर्ति के बरामद होने के कारण मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसका विरोध भी किया।कहा जाता है कि उस समय की सरकार ने इस मूर्ति को हटाने का आदेश फैजाबाद जो कि अब अयोध्या जिले के नाम से जाना जाता है के जिला अधिकारी के के नायर को दिया।लेकिन के के नायर ने यह कहने से मूर्ति नहीं हटवाया कि अगर मूर्ति हटाएंगे तो दंगा भड़क सकता है।जिसके चलते इस विवाद और अधिक उत्पन्न ना हो इसके लिए राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद के दरवाजे पर ताला लगा दिया गया।1950 में हिंदू पक्ष के ओर से दो अर्जी सिविल कोर्ट में दाखिल की गई।एक अर्जी में रामलला की पूजा करने की इजाजत तथा दूसरी अर्जी में प्रभु श्री राम की मूर्ति वहीं स्थापित की जाए के लिए इजाजत मांगी गईं। वर्ष 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक अर्जी दाखिल किया कि विवादित भूमि पर पजेशन व मूर्ति को हटाने की मांग की।धीरे-धीरे समय बीतता गया आखिरकार 1986 में हिंदू पक्ष की ओर फैसला आया इस दौरान 1 फरवरी 1986 को यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद जिला जज के एम पांडे ने हिंदुओं को राम जन्मभूमि मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी वही ढांचे पर लगे ताले को खोलने का आदेश भी दिया। वर्ष 1990 मे 30 अक्टूबर व एक नवंबर वह दिन आज भी हिंदू समुदाय के लोग नहीं भूल सकते हैं जब मुलायम सरकार ने सैकड़ों निहत्थे कारसेवकों के ऊपर गोली चलवाई थी।जिसमें कई निहत्थे कारसेवक मारे गए और अनेक कारसेवक घायल हुए।6 दिसंबर वर्ष 1992 को कल्याण सिंह की सरकार में जब फैजाबाद जो कि अयोध्या के नाम से जाना जाता है के जिला अधिकारी आर एस श्रीवास्तव व एसएसपी डीबी राय के समय विश्व हिंदू परिषद,शिवसेना सहित अन्य हिंदू संगठनों ने राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद पर चढ़कर तीनों गुंबदों को देखते-देखते गिरा दिया ।जिसके चलते वर्ष 2002 में कासेवकों को ले जा रही ट्रेन में एक समुदाय के लोगों ने आग लगा दिया जिसमें कई कारसेवक मारे गए।जिससे भड़की दंगों में लगभग 2000 से अधिक लोग मारे गए थे।उसके बाद वर्ष 2010 में हाई कोर्ट इलाहाबाद पीठ ने राम जन्मभूमि/बाबरी मस्जिद की जमीन को बराबर बराबर सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला व निर्मोही अखाड़ा को दिए जाने का आदेश दिया।वहीं सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2011 में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए इस आदेश को निरस्त कर दिया।बताते चले उसके बाद वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया जिसमें भाजपा के कई नेताओं पर आपराधिक साजिश बहाल किया गया। वहीं 2019 में ही अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थ के लिए भेज दिया और इसके लिए 8 सप्ताह का समय दिया।1 अगस्त वर्ष 2019 को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट में पेश किया और 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थ मामले को समाधान नहीं निकल सका। जिसके चलते 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।आखिरकार वह दिन हिंदूओ के लिए शुभ घड़ी का दिन आ ही गया जब सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को पांच जजों की बेंच ने राम जन्मभूमि के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। राम जन्मभूमि के पक्ष में यह फैसला आया कि राम जन्मभूमि/बाबरी मस्जिद विवादित भूमि राम जन्म भूमि के निर्माण के लिए मुहैया कराया जाए।वही 5 एकड़ की भूमि मुस्लिम पक्ष को मुहैया करने का आदेश दिया गया। यह फैसला आते ही सिर्फ रामनगरी में ही नहीं बल्कि समूचे भारत देश के विश्व में खुशी की लहर दौड़ पड़ी और उसे दिन लोगों ने दीपावली होली का पर्व मनाया।सुप्रीम कोर्ट के फैसला राम जन्मभूमि के पक्ष में आने के बाद 25 मार्च 2020 को पूरे 28 साल बाद भगवान श्री राम टेंट से निकलकर फाइबर युक्त मंदिर में विराजमान हुए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला आने के बाद एक ट्रस्ट का निर्माण भी किया गया।जिसका नाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या ट्रस्ट रखा गया।वर्तमान समय में चंपत राय ट्रस्ट के महासचिव हैं।इसी बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पर आकर भूमि पूजन किया और एक निर्धारित समय सीमा के अंदर इसी वर्ष 31 दिसंबर 2023 तक रामलाल का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।22 जनवरी 2024 का दिन बहुत ही शुभ रहेगा जब प्रभु श्री राम पहले टेंट में थे उसके बाद फाइबर युक्त मंदिर में आए और अब अपने स्थान जो की भव्य राम जन्मभूमि मंदिर है उसमें विराजमान होंगे।इस दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा करेंगे और इसके साक्षी हजारों संत महात्मा के साथ-साथ देश विदेश के अलावा भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले आमंत्रित अतिथि होंगे।

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