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4 जनवरी – श्रीरामचरितमानस,
नमो राघवाय 🙏
कपटी कायर कुमति कुजाती ।
लोक बेद बाहेर सब भाँती ।।
राम कीन्ह आपन जबही तें ।
भयउँ भुवन भूषन तबही तें ।।
( अयोध्याकाण्ड 195/1)
राम राम🙏🙏
राम जी से मिलने भरत जी अयोध्या समाज सहित चित्रकूट जा रहे हैं । श्रृंगवेरपुर में निषादराज गुह ने भरत जी को सेना के साथ आते देखकर सोचा कि भरत के मन में कुटिलता आ गई है ,वे राम जी को वन में पराजित कर निष्कंटक राज्य करना चाहते हैं । परंतु समीप आने पर जैसे ही वशिष्ठ जी को निषादराज ने प्रणाम किया है वशिष्ठ जी ने भरत से कहा कि यह राम जी का मित्र है ।भरत जी उसे तुरंत गले लगाते हैं , उसकी कुशल पूछते हैं । इसमें कुछ भी आश्चर्य नही है , राम जी ने किसको बड़ाई नहीं दी है । निषादराज कहता है कि मैं कपटी , कायर कुबुद्धि व कुजाति हूँ । संसार व वेद में मेरी कोई गणना नहीं है परंतु जबसे राम जी ने मुझे अपनाया है तभी से मैं विश्व का भूषण बन गया हूँ ।
विश्व भूषण तो हम आप भी होना चाहते हैं पर राम जी अपना लें तभी ऐसा हो सकता है । राम जी प्रेम व सेवा करने वाले को अपनाते हैं । अस्तु !अभी आप क्या हैं इसकी चिंता छोड़ अपना राम प्रेम बढ़ाएं व राम सेवा में लग जाएँ , राम जी हमें भी अपना लेंगे, विश्व भूषण बना देंगे । अतएव! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरुण जी लखनऊ