श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई

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21 जनवरी – श्रीरामचरितमानस,
नमो राघवाय 🙏

जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा ।
तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा ।।
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती ।
करहिं सदा सेवक पर प्रीती ।।
( सुंदरकांड 6/3)
राम राम🙏🙏
हनुमान जी माँ को ढूँढने के लिए छोटा सा रूप धारण कर लंका में प्रवेश किए हैं । सब के महल जाते हैं फिर बिभीषण के महल आते हैं , उन्हें पुकारते हैं । विभीषण व हनुमान जी मिलकर आपसी वार्तालाप करते हैं । विभीषण कहते हैं कि आप कोई हरि भक्त हैं ? या दीनो पर कृपा करने वाले स्वयं राम जी हैं । मुझसे इस शरीर से भजन होता नहीं है । लेकिन आपसे मिलकर मुझे यह विश्वास हो गया कि राम जी की कृपा मुझपर है तभी आपने मुझे दर्शन दिया है ।बिना हरि कृपा के संत मिलन होता नहीं है । हनुमान जी कहते हैं कि विभीषण जी ! सुनिए, भगवान का यह व्यवहार है कि वे अपने सेवक से सदा प्रेम करते हैं ।
हनुमान जी ने विभीषण को भगवान का व्यवहार करने का तरीक़ा बताया है । भगवान तो सदा ही अपने सेवकों पर कृपा करने के लिए तत्पर रहते हैं बस हमारी सेवा में कमी उनके प्रेम को हम तक पहुँचने से रोकती है । अतएव अपनी राम सेवा बढ़ाने में ज़ोर लगाएँ व प्रभु का भरपूर प्रेम पाएँ । अस्तु ! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी, लखनऊ

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