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नमो राघवाय 🙏
मंगलरूप भयउ बन तब ते ।
कीन्ह निवास रमापति जबसे ।।
फटिक सिला अति सुभ्र सुहाई ।
सुख आसीन तहाँ द्वौ भाई ।।
( किष्किंधाकांड 12/3)
राम राम 🙏🙏
राम जी ने बालि का बध कर सुग्रीव को राजा बना दिया है । फिर सुग्रीव को बुलाकर कहा कि चौदह वर्ष तक मैं नगर नहीं जाऊँगा , मेरे कार्य का ध्यान रखना , मैं वर्षा काल में पास के पर्वत पर रहूँगा । जबसे राम जी ने प्रवर्षन पर्वत पर निवास किया है सारा वन मंगलमय हो गया । स्फटिक की शिला पर दोनों भाई सुखपूर्वक विराजमान हैं ।
भगवान मंगलमय हैं , वे जहाँ भी वास करते हैं वहाँ सबकुछ मंगलमय हो जाता है । आप अपने ह्रदय में , अपने घर में भगवान को वास दे , आपका ह्रदय, घर सब मंगलमय हो जाएगा । अस्तु अपने को मंगलमय बनाना चाहते हैं तो राम जी को अपने ह्रदय में बैठाइए । अथ ! जय राम , जय राम, जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ