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करपात्री जी महाराज ने वेदों को सिद्ध किया है और उसकी प्रमाणिकता को स्थापित किया है
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में धर्म सम्राट आदरणीय करपात्री जी महाराज के शिष्य आचार्य अभिषेक ब्रम्हाचारी जी महाराज का आगमन हुआ।
महाराज जी का अभिनदंन व स्वागत मंत्रोच्चार द्वारा किया गया। इसी समय मा0 कुलपति जी ने एवं आचार्य अभिषेक ब्रह्मचारी जी ने प्राच्य संस्कृत विभाग के शिक्षक डा0 श्यामलेश कुमार तिवारी को माला पहना कर स्वागत व अभिनन्दन किया। श्यामलेश जी विगत दिनों अयोध्या में संपन्न हुए प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के 9 आचार्यों में से एक थे।
मा0 कुलपति जी ने बताया कि स्वामी जी महाराज का प्रस्ताव था कि विश्वविद्यालय में जिस प्रकार से अन्य धर्मों के सम्बन्ध में अध्ययन कराया जाता है उसी प्रकार से विश्वविद्यालय में एक हिन्दू अध्ययन केन्द्र की भी स्थापना की जाये, जिसकी पूर्ति के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर काफी दिनों से प्रयास किये जा रहे हैं और विश्वविद्यालय प्रस्ताव की पूर्ति हेतु अब लगभग तैयार हो चुका है।
आचार्य अभिषेक ब्रम्हाचारी जी महाराज ने अपने उद्बोधन में बताया कि भारत वर्ष में श्री राम युग की शुरूआत हो चुकी है और भगवान श्री राम जी मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। भारत वेद शास्त्र आधारित देश है। पहले लोग भारत को गड़रियों का देश कहा करते थे। वेदों को प्रमाणित करने का प्रयास किया जाता था किन्तु आज भारत वेदों को सिद्ध कर प्रमाणित कर चुका है। वेदों की प्रमाणिकता क्या है इसे कम समय में नहीं परिभाषित किया जा सकता है। करपात्री जी महाराज ने वेदों को सिद्ध किया है और उसकी प्रमाणिकता को स्थापित किया है।
महाराज जी ने बताया कि मैंने इस संबंध में कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय से अनुरोध किया कि वे एक शोध पीठ की भी स्थापना करने का प्रयास करें, जिसे पाठ्यक्रम में भी शामिल करें। मैं इनको कार्य के सहयोग हेतु साधुवाद देता हूँ । भारत में “One Earth One Family” पर कार्य किया जा रहा है। हम लोग अखिल ब्रह्मांड की चिंता करते हैं। भारत के बच्चे मुस्लिम, ईसाई व अन्य धर्मों को भी पढ़ते हैं। हमारे वेद और विचारों से लोग प्रभावित होते हैं। जब हम लोग पुष्पक विमान की बात करते हैं तो लोग विश्वास नहीं करते लेकिन भारत ने साबित कर दिया और अब लड़ाकू विमान उसी वेद शास्त्रों पर आधारित वैज्ञानिको द्वारा बनाये जा रहे हैं।
अन्त में महाराज जी ने कहा कुलपति श्री आलोक जी को बहुत-बहुत शुभकामनाऐं।
आगे मा0 कुलपति जी ने कहा कि स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी जी महराज ने जो वेद शास्त्र आधारित अध्ययन केन्द्र स्थापित कर उन्हें विश्वविद्यालय में अध्ययन हेतु लागू करने की बात कही थी उसे लागू किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग एवं प्राच्य संस्कृत विभाग में पहले से संबंधित विषय (topic) लागू हैं, जिसे अब अनिवार्य रूप से लागू किया जायेगा।
लखनऊ विश्वविद्यालय हिन्दू अध्ययन केन्द्र स्थापित करने जा रहा है, जिसके अन्तर्गत M.A. in Hinduism Studies एवं एक शोध पीठ को भी स्थापित करने का प्रस्ताव शासन को देने जा रहे हैं, जिसका ठोस प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
इसके अघ्ययन के लिए अगले सत्र से निम्न तैयारी हैः-
1. एम0ए0 इन हिन्दू अध्ययन (दो वर्ष)
2. हिन्दू अध्ययन शोध पीठ
3. हिन्दू अध्ययन में रिसर्च को विस्तार देना
इस सम्बन्ध में समस्त कार्यवाही जैसे सिलेबस, पेपर इत्यादि को बोर्ड आफ स्टाडिज, फैकल्टी बोर्ड व अन्य समितियों से पास कराकर अगले सत्र से शुरूआत करेंगे।
मा0 कुलपति जी ने बताया कि एक पेपर सनातन वैदिक संस्कृति के नाम से पढ़ाया जायेगा। जैसा कि नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत आगामी वर्ष में एक वर्ष का पी0जी0 की शुरूआत होने वाला है। इसी प्रकार 02 वर्ष के पी0जी0 को पुनः रिस्ट्रक्चर किया जा रहा है। इसका लाभ लाइब्रेरी, व अन्य संस्थानों में भी किया जा सकेगा।