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किसान मेला 2024
किसान खुशहाल होंगे तो प्रदेश भी खुशहाल होगा: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान, लखनऊ में किसान मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री, वित्त कृषि, कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान, उत्तर प्रदेश शासन, सूर्य प्रताप शाही , सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ. एन कलैसेल्वी सम्मानित अतिथि थे। साथ ही सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी और लखनऊ स्थित सीएसआईआर की अन्य प्रयोगशालाओं सीएसआईआर-एनबीआरआई, सीएसआईआर-सीडीआरआई और सीएसआईआर-आईआईटीआर के निदेशक भी उपस्थित थे।
श्री योगी ने संस्थान परिसर में चंदन के पौधे का रोपण किया। उन्होंने 15 सरकारी संस्थानों के ग्रामीण प्रौद्योगिकी पवेलियन का भी उद्घाटन किया, जहां कृषि में ड्रोन का उपयोग, उच्च मूल्य वाले फूलों की खेती, बाजरा और खाद्य प्रसंस्करण, उच्च उपज वाले बासमती चावल की किस्म जैसी तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री ने स्टालों का दौरा किया और भाग लेने वाली प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों के साथ विकसित की जा रही प्रौद्योगिकियों और उनके लाभों के बारे में बातचीत की। सीएसआईआर-सीमैप द्वारा विकसित औषधीय और सुगंधित पौधों की 75 उच्च उपज वाली किस्मों के साथ-साथ सौर आसवन इकाई सहित उन्नत आसवन इकाइयों को भी प्रदर्शित किया गया। मुख्यमंत्री ने मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से अगरबत्ती बनाने में शामिल 20 नवोदित उद्यमियों और 50 से अधिक महिला लाभार्थियों के साथ भी बातचीत की।
सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक ने मुख्यमंत्री और अन्य विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया और इस अवसर की शोभा बढ़ाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि संस्थान सदैव किसानों की आजीविका के उत्थान की दिशा में कार्य कर रहा है और संस्थान के प्रयासों से आज 24 राज्यों के 8,00,000 से अधिक किसान सीएसआईआर- सीमैप के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक पद्धति के तहत औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती अपनाकर लाभान्वित हो रहे हैं।
डॉ. (श्रीमती) एन. कलैसेल्वी ने भी सभा को संबोधित किया और बताया कि सीएसआईआर नकदी फसलों, खाद्य फसलों, सुगंधित और औषधीय फसलों आदि से संबंधित नवीन अनुसंधान के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित उपक्रमों के विकास पर काम कर रहा है, जो कि ऐरोमा, फ्लोरीकल्चर मिशन जैसी प्रमुख मिशन मोड परियोजनाओं के माध्यम से देश भर में इसकी विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
श्री शाही ने राज्य में फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करके उत्तर प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने आगे कहा कि सीमैप ने यूपी में औषधीय और सुगंधित फसलों की खेती के संबंध में अच्छा काम किया है और किसानों से अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित उन्नत किस्मों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने प्राकृतिक खेती के माध्यम से औषधीय और सुगंधित फसलों की खेती पर जोर दिया, जिससे हर्बल उद्योगों को काफी मदद मिल सकती है, जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने किसान मेला स्मारिका पुस्तक ‘औस ज्ञान्या’, सीएसआईआर-सीमैप द्वारा विकसित 164 किस्मों की पुस्तिका, सीएसआईआर-अरोमा एंड्रॉइड मोबाइल ऐप और एक हर्बल उत्पाद एलो रोमा जेल का भी विमोचन किया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में उन्नत प्रौद्योगिकियों के उपयोग से किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में वैज्ञानिक समुदाय के प्रयासों की सराहना की। सीमैप के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि किसान मेले में किसान, उद्योग और वैज्ञानिकों के बीच बातचीत से बने पारिस्थितिकी तंत्र को राज्य में दोहराने की जरूरत है। उन्होंने राज्य कृषि विभाग से लखनऊ में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के साथ संयुक्त सहयोग से काम करने को कहा ताकि किसानों और उद्यमियों को ग्रामीण आय बढ़ाने के लिए प्रयोगशालाओं में विकसित नवीनतम तकनीकों से अवगत कराया जा सके। उन्होंने कहा कि किसान खुशहाल होंगे तो प्रदेश भी खुशहाल होगा। उन्होंने किसानों से कृषि आय को कई गुना बढ़ाने के लिए पारंपरिक खेती में औषधीय और सुगंधित पौधों को शामिल करने को भी कहा।
किसान मेले में उत्तर प्रदेश के 25 जिलों और 15 राज्यों के 4000 से अधिक किसानों ने भाग लिया। किसान मेले में भाग लेने वाले किसानों को 250 क्विंटल से अधिक मेन्थॉल मिंट की अधिक उपज देने वाली किस्म ‘सिम-उन्नति’ वितरित की गई। इसके अलावा, देश भर के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) जैसे शिरडी, उज्जैन, गोरखपुर, लखनऊ, गुड़गांव, दिल्ली, वाराणसी आदि की 500 महिला लाभार्थियों ने संस्थान की अपशिष्ट से धन पहल के तहत अगरबत्ती प्रदर्शन में भाग लिया, जिसमें फूल कचरे को अगरबत्ती, शंकु स्टिकर आदि में परिवर्तित किया जाता है। किसानों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने के लिए देश भर से 20 से अधिक हर्बल उद्योग प्रतिनिधियों और कई उद्यमियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।