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07 फरवरी – श्रीरामचरितमानस,
नमो राघवाय 🙏
नर सरीर धरि जे पर पीरा ।
करहिं ते सहहिं महा भव भीरा ।।
करहिं मोह बस नर अघ नाना ।
स्वारथ रत परलोक नसाना ।।
( उत्तरकांड 40/2)
राम राम 🙏🙏
राम जी के राज्याभिषेक उपरांत एक दिन सनकादिक मुनि आते हैं , वे भगवान से प्रेमा भक्ति माँग कर वापस जाते हैं । फिर भरत जी ने उनसे संतों के गुण पूछे हैं , राम जी बताते हैं । राम जी आगे कहते हैं कि मानव शरीर धारण कर जो दूसरों को दुख पहुँचाते हैं उनको जन्म मृत्यु के दुख सहने पड़ते हैं । मनुष्य मोह में पड़कर अनेकों पाप करते हैं इसी कारण उनका परलोक नष्ट हो जाता है व उसे फिर जन्म लेना पड़ता है ।
राम जी कहते हैं कि मानव मोह में पड़कर अनेक पाप करते हैं । मोह का मतलब अज्ञान होता है । जबकि राम जी की कथा मोह रूपी अज्ञान का नाश करने के लिए काली जी के समान है । जो राम कथा सुन लेते हैं , गुन लेते हैं वे तो पाप करने बच जाते हैं , उन्हें सदगति मिल जाती हैं । अतएव जगत में आवागमन से मुक्ति चाहते हैं तो राम जी की कथा सुनें , रघुनाथ कथा गुनें । अथ ! जय जय राम कथा , जय राम कथा 🚩🚩🚩