विपश्यना कथक नृत्य नाटिका ने दिखाया संस्कारित होने का मार्ग

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विपश्यना कथक नृत्य नाटिका ने दिखाया संस्कारित होने का मार्ग

– पहली बार अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथक नृत्यांगना नाट्य गुरु सुरभि सिंह के निर्देशन में संत गाडगे ऑडिटोरियम में हुई प्रभावी प्रस्तुति विपश्यना

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, हेल्प-यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के सहयोग से कल्चरल क्वेस्ट ने कथक नृत्य पर आधारित “विपश्यना नृत्य नाटिका” का प्रभावी प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथक नृत्यांगना नाट्य गुरु सुरभि सिंह के कुशल निर्देशन में शनिवार 17 फरवरी को गोमत नगर स्थित संत गाडगेजी महाराज ऑडिटोरियम में किया गया। इस नृत्य नाटिका में महात्मा बुद्ध की शरण में आई नर्तकी वासवदत्ता के हृदय परिवर्तन के प्रसंग को पेश किया गया।
पहली बार किसी नृत्य नाटिका के माध्यम से “विपश्यना ध्यान विधि” जो की दुखों से मुक्ति पाने का सबसे सशक्त माध्यम माना जाता है को प्रभावी रूप से आमजन तक पहुंचाया गया। इसमें स्वयं में जाकर अपनी ही ध्यान की शक्ति से आर्य अष्टांगिक मार्ग पर चलकर जीवन के उद्देश्य को जानने की प्रक्रिया को सम्प्रेक्षित किया गया। इस प्रस्तुति का उद्देश्य जनजागृति के साथ साथ युवाओं को संस्कारित करने का भी रहा।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में कुशीनगर भिक्खु संघ के संयुक्त सचिव भिक्खु डॉ. नंद रतन सहित विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य मुकेश शर्मा, विधान परिषद सदस्य कुँ अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल भैया”, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष हरगोविंद कुशवाहा, जनसत्तादल (राजा भैया) के प्रदेश महासचिव कुँ बृजेश सिंह राजावत जी, उत्तर प्रदेश, के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह, भारतीय जनता पार्टी, प्रांतीय सिविल सेवा उ.प्र. (कार्यकारी शाखा) के राजनीतिज्ञ बाबा हरदेव सिंह और राज्य ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सीता राम कश्यप आमंत्रित अतिथि रहें।
पद्मश्री योगेश प्रवीण की सशक्त पटकथा को लोकप्रिय रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया ने अपने संवादों से संवारा जबकि इसकी संगीत परिकल्पना कोलकाता के पं.असीम बंधु भट्टाचार्य ने की थी। इसका स्वर और संगीत समायोजन कोलकाता के सुप्रियो दत्ता ने किया था। तबला वादन, वॉइस ओवर और उपगुप्त की भूमिका में पं.विकास मिश्र ने अपनी विशिष्ट पहचान दर्शकों पर अंकित की। मंच पर कलाकारों में मुख्य भूमिका में सुरभि सिंह की वरिष्ठ शिष्याएँ ईशा रतन, मीशा रतन, आकांक्षा पाण्डे, अंकिता मिश्रा, अपर्णा शर्मा, ममता बाजपेयी, आरती, संगीता कश्यप, मोहित कपूर, हेमंत, सुश्रुत, गुरुदत्त पाण्डे, सौरभ ने प्रशंसा हासिल की। प्रस्तुति के तकनीकि पक्ष में कलात्मक और ग्राफ़िक का दायित्व आशीष कुमार कश्यप ने संभाला। मुख सज्जा से सौन्दर्य वर्धन का कार्य मनोज वर्मा और शहीर ने बखूबी किया। मोहम्मद शकील की मंच सज्जा ने प्रस्तुति का आकर्षण बढ़ाया। समारोह की व्यवस्था सहारा बानो और प्रचार प्रसार दबीर सिद्दीकी ने संभाला।

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