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25 मार्च- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
अनुज समेत गहेहु प्रभु चरना ।
दीन बंधु प्रनतारति हरना ।।
मन क्रम बचन चरन अनुरागी ।
केहिं अपराध नाथ हौं त्यागी ।।
( सुंदरकांड 30/2)
राम राम 🙏🙏
हनुमान जी ने लंका दहन कर अपनी पूँछ को समुद्र में शांत किया है और फिर सीता जी के पास गये हैं । माँ ने चूड़ामणि दी है । हनुमान जी राम जी के पास लौट आए हैं , सब बताए हैं । वे रामजी से कहते हैं कि चलते समय माँ ने संदेश दिया है कि मन कर्म व वचन से आपके चरणों में लगी हुई हूँ फिर भी किस अपराध में नाथ आपने मेरा त्याग कर रखा है ।
माँ तो मन कर्म वचन से रामचरणानुरागी हैं तब राम जी से पूछती हैं कि आपने मेरा क्यूँ त्याग कर रखा है जबकि हम आप तो यदा कदा राम स्मरण कर कहते रहते हैं कि प्रभु कृपा नहीं कर रहें हैं , उनकी कृपा नहीं हो रही है । अतएव राम कृपा पाने हेतु आत्ममंथन करें व राम जी में हर प्रकार से लगें । अथ ! जय राम जय राम जय जय राम 🚩🚩
संकलन तरुण जी लखनऊ