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3 अप्रैल- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
पुरुष नपुंसक नारि वा
जीव चराचर कोइ ।
सर्ब भाव भज कपट तजि
मोहि परम प्रिय सोइ ।।
( उत्तरकांड, दो. 87)
राम राम🙏🙏
काकभुसुंडि जी ने राम जी से उनकी विशुद्ध व अनन्य भक्ति मागी है । राम जी ने कहा कि ऐसा ही हो । पुनः राम जी अपना सिद्धांत सुनाते हुए काकभुसुंडि जी से कहते हैं कि पुरूष हो , नपुंसक हो , स्त्री हो या चर अचर कोई जीव हो , जो कपट छोड़कर हर तरह से मुझे भजता है वह मुझे परम प्रिय होता है ।
बंधू राम प्रियता चाहते हैं तो राम जी का सिद्धांत जानें । कपट छल छोड़कर राम भजन करने वाले राम जी को प्रिय हो जाते हैं । आप क्या करते हैं , विचारें? राम प्रियता पाने के लिए बहुत कुछ नहीं करना है बस छल छोड़कर राम भजें । अथ! जय राम , जय राम, जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरुण जी लखनऊ