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“श्री निवास रामानुजन की कार्य यात्रा” विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ।श्री जयनारायण मिश्र, महाविद्यालय, केकेसी, में गणित विभाग द्वारा “श्री निवास रामानुजन की कार्य यात्रा” विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया।
व्याख्यान को मुख्य अतिथि वक्ता, प्रो रमा जैन, महिला डिग्री कॉलेज, लखनऊ ने संबोधित किया। उन्होंने भारत की महान विभूति श्री रामानुजन के कार्यों उपलब्धियो एवं गणितीय सिद्धांतों से छात्र-छात्राओं को परिचित कराया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को रामानुजन के मैजिक स्क्वायर के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि, यह एक 3×3 ग्रिड है। जिसमें नौ कोशिकाओं में से प्रत्येक में 1 से 9 तक की संख्या होती है, और प्रत्येक पंक्ति, स्तंभ और विकर्ण का योग समान होता है। उन्होंने कहा कि, श्री रामानुजन का जीवन गणित के संत की तरह था।
श्री रामानुजन भारत की उन विख्यात हस्तियों में से एक हैं, जिन्होंने पूरे विश्व में भारतीय प्रतिभा का लोहा बनवाया। गणित और विज्ञान के क्षेत्र में रामानुजन का नाम पूरे विश्व में बहुत ही आदर और सम्मान से लिया जाता है।
इन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी इन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। इन्होंने अपनी प्रतिभा और लगन से न केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए वरन भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया।
उन्होंने बताया कि, श्री रामानुजन बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।
इन्होंने खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं।
इन्होंने गणित के सहज ज्ञान और बीजगणित प्रकलन की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर बहुत से मौलिक और अपारम्परिक परिणाम निकाले।
हाल में इनके सूत्रों को क्रिस्टल-विज्ञान में प्रयुक्त किया गया है।
इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य, प्रो विनोद चंद्रा ने कहां कि डॉ रामानुजन की प्रतिभा मौलिक थी और उनका जीवन अत्यंत सरल था। उनके गणितीय सिद्धांत भारत की मेधा के परिचायक है।
गणित में रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान, रामानुजन संख्या यानी 1729 को माना जाता है। यह ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसको दो अलग-अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है। उन्होंने गणित विभाग को इस व्याख्यान के आयोजन के लिए विशेष रूप से बधाई दी।
इस अवसर पर गणित विभाग प्रभारी, प्रो आर के श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि, गणित विषय के बिना किसी भी वैज्ञानिक प्रगति या शोध की परिकल्पना नहीं की जा सकती। मानव के जीवन में गणित विषय का सबसे ज्यादा और महत्वपूर्ण योगदान है।
इस अवसर पर डॉ उमाशंकर सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया।
डॉ साभिया सिंह ने व्याख्यान के समापन पर सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय उप प्राचार्य प्रो के के शुक्ला, प्रो एस पी शुक्ला, प्रो एस सी हजेला, प्रो आर के पांडेय,
प्रो विवेक सिंह, प्रो अजय मिश्रा, प्रो देवांगना राजपूत, प्रो प्रतिभा शुक्ला, डॉ जितेंद्र अवस्थी एवम डॉ सुशील कुमार सहित छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।