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30 अप्रैल – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा ।
ह्रदयँ हरष कपि सज्जन चीन्हा ।
एहि सन हठि करिहउँ पहिचानी
साधु ते होइ न कारज हानी ।।
( सुंदरकांड 5/2)
राम राम 🙏🙏
हनुमान जी सागर पार कर लंका पहुँचे हैं व रात्रि के समय छोटा सा रूप धारण कर लंका में प्रवेश करते हैं । वे पहले रावण के महल जाते हैं , माँ वहाँ नहीं मिलती हैं । फिर दूसरे महल में आते हैं जो विभीषण का महल है । विभीषण ने अपने महल में राम राम लिख रखा है । हनुमान जी सोचते हैं कि यह तो निसाचरो की नगरी है यहाँ सज्जन पुरूष कहाँ ? उसी समय विभीषण उठते हैं और राम राम कहते हैं । हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और उन्हें सज्जन मानते हैं और सोचते हैं कि इनसे हठ करके परिचय करूँगा । सज्जन से कोई काम बिगड़ता नहीं है ।
सज्जन तो काम बनाता है परंतु सज्जनता तो राम नाम सुमिरन से आती है । आप भी राम नाम सुमिरन करने लगेंगे तो आप भी सज्जन हो जाएँगे , लोग आपसे जबरी परिचय करेंगे । अथ ! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ