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साहिब श्री गुरु अरजन देव जी महाराज का प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) मनाया गया
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। शहीदों के सरताज, सुखमनी साहिब जी जैसी मीठी और निर्मल बाणी के रचयिता, प्रेम भक्ति की मूरत, सहनशीलता एवं त्याग के प्रतीक, निमरता की शाखशात सरुप तथा बाणी के बोहिथ, प्रतख हरि, शान्ती के पुंज सिखों के पांचवें गुरु साहिब श्री गुरू अरजन देव जी महाराज का प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) दिनांक 30-04-2024 को ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिन्डोला, लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।
शाम का दीवान 6.30 बजे रहिरास साहिब के पाठ से दीवान आरम्भ हुआ जो 9.30 बजे तक चला। जिसमें हजूरी रागी भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में “गुरु अरजन सच सिरजन हारा।।” शबद कीर्तन गायन एवं नाम करवाया।
ज्ञानी गुरमीत सिंह जी गुरुद्वारा अहियागंज वालों ने साहिब श्री गुरू अरजन देव जी महाराज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आप का जन्म आज ही के दिन गोइंदवाल साहिब अमृतसर में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री गुरु रामदास जी और माता जी का नाम बीबी भानी जी था। गुरु जी का ज्यादातर बचपन गोइंदवाल साहिब में बीता। बचपन से ही आपने गुरु मर्यादा सीखी जिसका फल यह हुआ कि गुरु बनने से पहले आपने ईश्वर से प्रार्थना की कि ’’हे करतार’’ ऐसी बुद्धि बख्शो जिससे संतों, साधुओं की सेवा करें और उनके चरणों का आसरा लेकर जीवन सफल करें। प्रभु सिमरन और माता पिता की सेवा को देखकर आपके पिता जी ने आप में सभी गुण देखकर आपको गुरु गद्दी सौंप दी। आपने सेवा आरम्भ कर एक सरोवर बनवाया जिसका नाम श्री अमृतसर रखा। सरोवर के बीचो बीच में श्री हरिमंदिर साहिब की स्थापना की, जिसकी नींव प्रसिद्ध फ़कीर मीयां मीर से रखवायी। श्री हरिमंदिर साहिब के निर्माण के बाद आपने श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के सम्पादन का कार्य आरम्भ कर दिया सभी गुरूओं और भक्तों की बाणियों को संकलन करके एक ग्रन्थ तैयार करने की सेवा आपने भाई गुरुदास जी को सौंपी। रामसर सरोवर के किनारे बैठकर भाई गुरुदास जी ने यह सेवा निभाई जिसका मूल तत्व परमपिता परमेश्वर की अराधना करना, जाति-पाति एवं अन्ध विश्वासों का खण्डन करना और लोगों में आपसी भाई चारे की भावना पैदा कर परमेश्वर से जोड़ना है। उन्होंने 1604 को पहली बार श्री गुरु ग्रन्थ साहिब को श्री हरमन्दिर साहिब श्री अमृतसर में स्थापित किया जिसके पहले ग्रन्थी बाबा बुड्ढ़ा जी बने। श्री गुरू अरजन देव जी ने 30 रागों में 2312 शबद लिखे जो श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में दर्ज है जिसमें श्री सुखमनी साहिब प्रमुख हैं। विशेष रूप से पधारे रागी जत्था भाई सुखप्रीत सिंह जी लखनऊ वालों ने अपनी मधुर वाणी में शबदः- “जपउ जिन अरजन देव गुरु फिर संकट जोनि गरभ न आयउ।।”शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया ।
कार्यक्रम संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया।
दीवान की समाप्ति के उपरान्त ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिंडोला के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिह बग्गा जी ने समूह संगत को साहिब श्री गुरू अरजन देव जी महाराज के प्रकाश पर्व की बधाई दी उसके दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा गुरु का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया गया।
नोटः- सिक्खों के पाँचवे गुरू साहिब श्री गुरू अरजन देव जी महाराज के शहीदों दिवस को समर्पित श्री सुखमनी साहिब के पाठों की आरम्भता दिनांक-01 मई 2024 दिन बुधवार को माता गुजरी सत्संग सभा की सदस्याओं एवं संगत द्वारा ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिंडोला लखनऊ में होगी जो प्रात: 5:00 बजे से 7:00 बजे तक 40 दिनों तक चलेगा जिसका समापन 10 जून 2024 को साहिब श्री गुरू अर्जन देव जी महाराज के शहीदी दिवस के दिन होगा।