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नमो राघवाय 🙏
कपि बल देखि सकल हियँ हारे ।
उठा आपु कपि कें परचारे ।।
गहत चरन कह बालिकुमारा ।
मम पद गहें न तोर उबारा ।।
( लंकाकांड 34/1)
राम राम 🙏🙏
राम जी ने अंगद को दूत बनाकर लंका भेजा है । अंगद रावण को समझाने की बहुत कोशिश करते हैं पर अभिमानी रावण मानता नहीं है उल्टे राम जी को बुरा भला कहता है । अंगद भी उसी भाषा में उसे जबाब देते हैं । तब रावण क्रोधित होकर निसाचरों को अंगद का बध करने की आज्ञा दी है । अंगद जी ने रावण की सभा में अपना पाँव जमा दिया और कहा कि यदि तुममे से कोई भी मेरा चरण हटा देगा तो राम जी लौट जाएँगे । सभी प्रयास करते हैं पर कोई सफल नही होता है ।तब अंगद जी के ललकारने पर रावण स्वयं उठता है । जब वह अंगद का पैर पकड़ने के लिए झुकता है तब अंगद जी कहते हैं कि मेरा पावँ पकड़ने से तेरा भला नहीं होगा ।
रावण की तरह हमारी सबकी यही गति है । राम चरणों को छोड़ हम कहाँ लगे हैं हमें खुद पता नहीं है । इसीलिए हमारा कल्याण नही हैं । अस्तु ! अपनी भलाई चाहते हैं तो जगत छोड़ जगदीश में लगें, राम चरणानुरागी बनें । अथ ! जय चरन शरण , जय राम चरन शरण 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ