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देश में ब्राह्मणों की स्थिति एवं योगदान: लेखक प्रोफे० जी० सी० पाण्डेय-अवकाश प्राप्त) सरस्वती सम्मान प्राप्त पर्यावरण विद
अयोध्या:आजकल भ्रामक एवं अनर्गल प्रचार किया जा रहा है कि ब्राह्मण उच्च पदों पर आसीन हैं, उनको वह स्थान नहीं मिलना चाहिए जिनके वह भागीदार है जबकि कोई पद या प्रतिष्ठा उसकी विद्वता पर निर्भर करता है। इस सन्दर्भ में मेरा मन बहुत व्यथित है और अपनी भावना / धारणा / अवधारणा मन से, समाज के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं। यह किसी भी सम्प्रदाय एवं धर्म के विरूद्ध नहीं है। अनादिकाल से ब्राह्मण सभी वर्गों को साथ लेकर चल रहा है। ब्राह्मण वर्ण व्यवस्था (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) के अनुसार ही कार्य करता है। आजकल एवं कल केवल वर्ण व्यवस्था से ही देश चलता है और चलता रहेगा। यह एक सनातनी व्यवस्था है। अगर व्यवस्था में उच्च पदस्थ है तो उसका कार्य भी उच्च स्तर का होना चाहिए। देश में ब्राह्मणों का योगदान शिक्षा, दीक्षा, स्वतन्त्रता, देश रक्षा, पूजा-पाठ, धर्म रक्षा, मन्दिर की व्यवस्था में सनातनी पंडित रहते हुये वह करता है और वह स्थिति प्रज्ञ है।
भारत के कान्तिकारी इतिहास में ब्राह्मणों का योगदान 90 प्रतिशत अतुलनीय था जिसमें नाम गिनवाने की जरूरत नहीं है।
ब्राह्मणों ने कभी भी सत्ता का मोह नहीं किया परन्तु राजाओं / महाराजाओं का संविधान सहित सहायक रहा है। चाणक्य ही अखण्ड भारत का सपना देखा था।
ब्राह्मणों की प्रत्येक पूजा में जरूरत पड़ती है। ब्राहमणों के द्वारा ही मन्त्र, वेदी, माला किसे पहनानी है, कहां दीप जलाना, देवताओं का अनुष्ठान किस जगह कहां करना है। वेद शास्त्रों में बताया गया है कि इनके द्वारा किये गये पूजा कार्य का लाभ जजमान को मिलता है जबकि जजमान खुद नहीं पा सकता। इनके द्वारा किये गये योगदान को कभी नकारा नहीं जा सकता जैसे योद्धा (परशुराम) विद्वान (रावण) स्वाभिमानी (सुदामा) धर्मरक्षक (पुष्यमित्र) कान्तिकारी (चन्द्रशेखर आजाद) कवि (तुलसीदास) राजनीतिक (चाणक्य) महाभारत (व्यास) वैद्य (चरक) गणितज्ञ (आर्यभटट), खगोलशास्त्री (ऋषि भारद्वाज) आदि रूप में ही देखा गया है। ब्राह्मण से इतिहास, है न कि इतिहास से ब्राह्मण हैं। ब्रिटिश साम्राज्य में जब धर्मान्तरण किया जा रहा था उस समय ब्राह्मणों ने ही विरोध किया था।
ब्राह्मण जो मन्दिर में बैठा है वह रावण का वध करने वाले का पूजा करता है तथा सभी वर्गों को निःसंकोच मन्दिर में प्रसाद बाटता है। बाल्मीकि द्वारा लिखी रामायण पढ़ता है और पढ़ाता है। देश में ब्राह्मणों को अपने-अपने स्वार्थों के लिए बांटो मत? भारत का विनाश करना है तो ब्राह्मणों का विनाश करो।
आज अवतारी पुरूष भगवान स्वरूप, प्रशुराम विश्वव्यापी हैं परन्तु इनके नाम के मन्दिर का निर्माण क्यों नहीं हो रहा है? भारत का एक मात्र मन्दिर आन्ध्र प्रदेश में है।
ब्राह्मण अपना अभिमान त्याग कर ज्ञान देता है और दान लेता है, समाज के लिए। यह जाति कवच के रूप में भारत की रक्षा पूर्व कालों से कर रही है। ब्राहमा अपने योग द्वारा सबसे बड़ी सम्पत्ति “बुद्धि” सबसे बड़ा हथियार, धैर्य एवं अच्छी सुरक्षा, “विश्वास” की दवा निःशुल्क देता है।
जहां तक सम्मान की बात है वहां ब्राह्मण सम्मान नहीं बल्कि प्यार ससम्मान चाहता है। वैसे राजनीति एक ऐसा पेशा है जहां चोर, झूठे एवं धोखेबाज समाज को धोखा दे सकते हैं फिर भी सम्मानित हो सकते है। हमने गरीब ब्राह्मण को मन्दिरों कापुजारी एवं पण्डा बना दिया और कुण्डली फल बताने के लिए ज्योतिषाचार्य सबके लिये बना दिया। इन्हीं ब्राह्मणों द्वारा अपने किये गये बुरे कृत्यों को खत्म करने के लिए देश के माफिया, गुण्डा, बलात्कारी, भ्रष्टाचारी पूजा-पाठ करवाते हैं और कहते हैं कि इनका क्या योगदान है?
आज इंसान का क्या चरित्र है? हजारों कीड़े खाने वाली छिपकली सुबह महापुरूषों के चित्र के पीछे छिप जाती है। मैं तो कहता हूं कि लायक ब्राह्मणों को ही पूजिये। “ब्राह्मण मत पूजिये जो होवे गुणहीन। पूजिए चरण पण्डित के होने गुण प्रवीन” ।।
आज कलयुग में ब्राह्मणो की उपयोगिता एवं योगदान होने के बावजूद भी उन पर एट्रासिटी एक्ट, 89 के तहत बिना इन्क्वायरी के भी कार्यवाही की जा सकती है। ब्राह्मणों को जातिसूचक शब्दों से गाली दिया जा सकता है। देश में आरक्षित सीटों पर वोट दे सकता है पर चुनाव नहीं लड़ सकता है। ब्राह्मणों के हित के लिए कोई आयोग आज तक नहीं बना है। वस्तुतः स्थिति यह है कि यह जाति अब आरक्षण के श्रेणी में आ जायेगी। ब्राहमणों को सजा देने के लिए एन०सी०एस०सी० एवं एस०सी०एस०टी० वर्ग का गठन किया गया है साथ ही साथ उनको सजा देने के लिए
प्रत्येक जिले में एस०सी०एस०टी० न्यायालय खोले गये हैं। अन्य वर्गों की तुलना स्कूल में, चार गुनी फीस देकर अपने बच्चों को पढ़ाता है। वह बेसहारा ब्राह्मण नौकरी, प्रमोशन, घर आवंटन आदि में जिसके साथ कानूनन भेदभाव है, वह बेचारा ब्राह्मण ही है।
सरकारों का संविधान द्वारा सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया जाने वाला ब्राह्मण ही है। इस सन्दर्भ में सूच्य है कि अनादिकाल से जहां ब्राह्मण सहयोग करता है वहीं सरकार बनती है। सबसे ज्यादा वोट देकर भी खुद को लुटा-पिटा-ठगा सा महसूस करने वाला ब्राह्मण ही है। देश हित में सरकार का साथ देने वाला ब्राह्मण ही है। सम्पूर्ण भेदभाव के बावजूद भी धर्म की जय, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सदभावना हो, विश्व का कल्याण हो की भावना जो रखता है वह ब्राह्मण ही है। सबका साथ सबका विकास मे हमारी स्थिति क्या है?
यह लेख समस्त ब्राह्मण परिवारों की ओर से भारत सरकार को समर्पित ।
(प्रोफे० जी० सी० पाण्डेय-अवकाश प्राप्त) सरस्वती सम्मान प्राप्त पर्यावरण विद, अयोध्या-7800592800