दीक्षांत समारोह न केवल छात्रों की अकादमिक उपलब्धियों का जश्न है, बल्कि उनके समग्र विकास और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है

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दीक्षांत समारोह न केवल छात्रों की अकादमिक उपलब्धियों का जश्न है, बल्कि उनके समग्र विकास और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में दीक्षांत समारोह सप्ताह के चौथे दिन का भव्य आयोजन किया गया। पूरे कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक समिति “संस्कृतिकी” द्वारा किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय और मुख्य अतिथि प्रो. संगीता साहू, निदेशक, IQAC की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी विशेष बना दिया।

दिन भर के कार्यक्रम में छात्रों ने अपनी सांस्कृतिक प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया, जिसमें शामिल थीं:

1. गुजराती नृत्य
2. एकल नृत्य
3. एकल गायन
4. कविता पाठ
5. बिहू नृत्य
6. रैप गीत
7. एकतारा नृत्य
8. स्किट ‘अजगर’
9. मणिपुरी समूह नृत्य
10. लावणी समूह नृत्य
11. कविता
12. आन्य
कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा, “हमारे छात्रों में छिपी सांस्कृतिक और रचनात्मक क्षमता को मंच देने का यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। दीक्षांत समारोह न केवल छात्रों की अकादमिक उपलब्धियों का जश्न है, बल्कि उनके समग्र विकास और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है। मैं छात्रों को इस उत्साहजनक प्रदर्शन के लिए बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि वे इसी जोश के साथ आगे भी नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे।”

साथ ही, संस्कृतिकी के निदेशक प्रो. अंचल श्रीवास्तव ने कहा, “हमारा उद्देश्य छात्रों को न केवल अकादमिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध करना है। यह कार्यक्रम उनके रचनात्मक पक्ष को उजागर करने का अद्भुत मंच है।”

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विविधता ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और छात्रों की सांस्कृतिक प्रतिभा को उजागर किया। दीक्षांत समारोह सप्ताह के आगामी कार्यक्रमों को लेकर भी छात्र और दर्शक दोनों में भारी उत्साह है।

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