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14 सितम्बर- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
जद्यपि सम नहिं राग न रोषू ।
गहहिं न पाप पुण्य गुन दोषू ।।
कर्म प्रधान बिस्व करि राखा ।
जो जस करइ सो तस फलु चाखा ।।
(अयोध्याकाण्ड 218/2)
जय जय सियाराम 🙏🙏
राम जी से मिलने के लिए भरत जी प्रयाग से आगे बढ़ते हैं । सब कुछ भरत के अनुकूल देखकर देवराज इंद्र गुरु बृहस्पति से कुछ छल करने को कहते हैं जिससे भरत जी की राम जी से भेंट न हो । बृहस्पति जी उन्हें समझाते हुए कहते हैं कि राम जी को अपना सेवक परम प्रिय होता है । यद्यपि वे सम हैं , उनमें राग रोष नहीं है , वे किसी का पाप पुण्य, गुण दोष ग्रहण नहीं करते हैं । उन्होंने विश्व को कर्म प्रधान बनाया है , जो जैसा करता है उसे वैसा ही फल मिलता है ।
हमारी रूचि कर्म में न होकर सदा फल में रहती है और बिना राम संग सत्कर्म होता नहीं है इसीलिए परिणाम वांछित नहीं मिलते हैं । राम जी कर्म हैं , वांछित फल पाने के लिए राम संग कर्म करें , फल मनोनुकूल मिलेगा ।अथ ! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ