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6 अक्टूबर- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
राम बास थल बिटप बिलोकें ।
उर अनुराग रहत नहिं रोकें ।।
देखि दसा सुर बरिसहिं फूला ।
भइ मृदु महि मगु मंगल मूला ।।
( अयोध्याकाण्ड 215/4)
राम राम 🙏🙏
चित्रकूट जाते समय भरत जी प्रयागराज में भरतद्वाज मुनि के आश्रम में रात रूकते हैं , सुबह स्नान कर रास्ता बताने वालों को साथ लेकर चित्रकूट चलते हैं । मार्ग में राम जी जहाँ जहाँ रूके थे उन जगहों व वृक्षों को देखकर उनके हृदय में प्रेम उमड़ आया । भरत की यह दसा देखकर देवता फूल बरसाने लगे , पृथ्वी कोमल हो गई और रास्ता मंगलमय हो गया ।
आप राम जी से प्रेम करने लग जाय , आप राम काज में अपने को लगा दें फिर देवता , प्रकृति सब अनुकूल हो जाते हैं । हमारी सब कठिनाई स्व प्रेम के कारण है। अतएव मंगलमय जीवन के लिए राम जी से प्रेम करें , राम काज में लगें । अथ ! जय जय राम, जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ