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30 अक्तूबर- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
तात स्वर्ग अपबर्ग सुख
धरिअ तुला एक अंग ।
तूल न ताहि सकल मिलि
जो सुख लव सतसंग ।।
( सुंदरकांड , दो. 4)
राम राम 🙏🙏
हनुमान जी सुरसा व दूसरी निसिचरी को परास्त कर सागर पार जाते हैं । लंका नगर के बाहर ढेर सारे रक्षकों को देख हनुमान जी ने रात्रि में नगर प्रवेश करने निर्णय लिया । छोटा रूप धारण कर हनुमान जी ने लंका में प्रवेश किया है और लंकिनी ने उनका मार्ग रोका है । हनुमान जी ने उस पर प्रहार किया है, उसे ब्रह्मा जी द्वारा दिया गया वरदान याद आता है । वह कहती हैं कि मेरा बहुत पुण्य है जो राम जी के दूत के दर्शन पाई हूँ । तात ! स्वर्ग व मोक्ष के सब सुख एक पल के सत्संग से प्राप्त सुख की भी बराबरी नहीं कर सकते हैं ।
श्री राम सत्संग सुखदायक है , यह सबसे बड़ा सुख है , इसकी अन्य सुख बराबरी नहीं कर सकते हैं ।सत्संग पुण्य बढ़ाने से मिलता है । राम जी में लगने से पुण्य बढ़ता है । राम संग सबसे बड़ा सत्संग है । अतएव राम में लगें, रघुनाथ में लगें व सुखी रहें । अथ ! जय जय राम, जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ