पापुलेशन एंड डेवलपमेंट: नेविगेटिंग चैलेंजेस एंड एक्सप्लोरिंग ऑपरुचुनिटीज” विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ

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“पापुलेशन एंड डेवलपमेंट: नेविगेटिंग चैलेंजेस एंड एक्सप्लोरिंग ऑपरुचुनिटीज” विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। श्री जय नारायण मिश्र महाविद्यालय, लखनऊ में “पापुलेशन एंड डेवलपमेंट: नेविगेटिंग चैलेंजेस एंड एक्सप्लोरिंग ऑपरुचुनिटीज” विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ, होटल रेनेसा, गोमती नगर, लखनऊ में मुख्य अतिथि, अमित मोहन प्रसाद, पूर्व एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, उत्तर प्रदेश के कर कमलो द्वारा मां सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जनसंख्या और विकास दोनों एक दूसरे के पूरक है। प्रत्येक समाज की अपनी एक क्षमता होती है। यदि जनसंख्या इस क्षमता को नही पार करती है तब यही जनसंख्या उस समाज के लिए डिविडेंड अर्थात फायदेमंद कहलाती है। यदि क्षमता की इस सीमा को जनसंख्या पार कर जाए तो यह स्थिति समाज के लिए उपयुक्त नहीं होती और कहीं ना
कहीं जनसंख्या के सर्वाइवल का प्रश्न उठने लगता है। उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज जैसी घटनाएं कहीं ना कहीं समाज, विकास और जनसंख्या के लिए प्रतिकूलता लाती है। जनसंख्या तभी फलती फूलती है जब तक विकास और जनसंख्या के बीच एक संतुलन बना रहता है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, प्रो आलोक कुमार राय, कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय, ने सेमिनार में प्रेषित अपने संदेश के माध्यम से बताया कि जनसंख्या विकास के दोनों पक्ष हैं, एक नेगेटिव तो दूसरा पॉजिटिव। यह कई सारे कारकों पर निर्भर करता है
जो जनसंख्या अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति, उपलब्ध संसाधनों में बेहतर तरीके से करती रहती है उसके लिए जनसंख्या पॉजिटिव होती हैं।
विशिष्ट अतिथि, श्री मुकेश कुमार शर्मा,
कार्यकारी निदेशक, पीएसआई, भारत ने इस अवसर पर कहा कि, आज जनसंख्या को पर्यावरण का ख्याल रखना होता है तभी पर्यावरण जनसंख्या का ख्याल रखती है। उन्होंने कहा कि भारत की आबादी में 60% जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु के लोगों की है। जनसंख्या को विकास से जोड़ने के लिए स्वास्थ्य कैसे कारकों का ध्यान रखा जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने जनसंख्या के सीजनल वेरिएशन के बारे में बताया। एक अनुमान व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सन 2047 तक समूचे विश्व में लोगों के लिए अच्छे स्वास्थ्य की परिस्थितिया सभी के लिए उपलब्ध होगी।
विशिष्ट अतिथि, प्रो वॉल्टर बाल, मार्टिन लूथर यूनिवर्सिटी, हाल विटेनबर्ग,जर्मनी, ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि, जनसंख्या और विकास को लेकर सबसे ज्यादा वैश्विक जागरूकता की आवश्यकता है। इन पर जितनी ज्यादा चर्चा हो वह कम है। प्रत्येक व्यक्ति में जनसंख्या और विकास को लेकर जागरूकता होनी चाहिए। उन्होंने विश्व मे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या और विकास को लेकर के हुए परिचर्चाओं का का हवाला देते हुए कहां कि इन चर्चाओं से लोगों का ध्यान इस गंभीर समस्या पर आकर्षित हुआ है और यही जनसंख्या और समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए आवश्यक कदम है। उन्होंने भारत में हो रहे थे अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को उसकी सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दी।
विशिष्ट अतिथि, प्रो मैत्रेयी चौधरी, अध्यक्ष, इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी ने कहा कि, जनसंख्या के विकसित होने के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है लोगों के स्किल डेवलपमेंट पर काम किया जाए। ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है जिनमे लिखने, पढ़ने और बोलने की वास्तविक स्किल का अभाव है। इस क्षेत्र में जमीनी स्तर पर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महामारी, कोविड-19 के समय हम सब असहाय हो गए थे। जो कि नहीं होना चाहिए। जनसंख्या को ऐसी स्थितियों से बचाने कीआवश्यकता है।
उद्घाटन सत्र के की-नोट स्पीकर रहे,
प्रो प्रवीण झा, अर्थशास्त्र विभाग, जवाहरलाल नेहरू युनिवर्सिटी, नई दिल्ली, ने इस अवसर पर जनसंख्या और विकास को लेकर के 18वीं शताब्दी से आरंभ हुए चर्चाओं को समझाते हुए 20वीं शताब्दी एवम उसके बाद में हुए कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने इस संबंध में माल्थुसियन थ्योरी का भी उल्लेख किया। वहीं पर जान राल के न्याय के सिद्धांत से लेकर के अमर्त्य सेन के कैपेबिलिटी अप्रोच की भी चर्चा की। प्रो झा ने विकास के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले सूचकांक जीडीपी की भी चर्चा की। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य को विकास के लिए आधारभूत तत्व बताते हुए कहा कि इन क्षेत्र में काम किए बिना जनसंख्या और विकास की कल्पना नहीं की जा सकती।
समारोह की अध्यक्षता, श्री वी एन मिश्र, अध्यक्ष, प्रबंध समिति, श्री जयनारायण महाविद्यालय, लखनऊ ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विकास हमें विनाश की ओर ले जाने वाला नहीं होना चाहिए। यह प्रबुद्ध और रचनात्मक होना चाहिए।सही तरीके से विकास होने से ही सतत विकास की अवधारणा बनी रहेगी। और इसके लिए आवश्यक है कि जनसंख्या को उचित रूप से नियोजित और नियंत्रित किया जाए।
महाविद्यालय प्राचार्य, प्रो विनोद चंद्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर किया।
उन्होंने तीन दिनों तक चलने वाली अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के प्रथम दिन चले तीन विशेष सत्रों में देश-विदेश के प्रतिभागियों ने हेल्थ सिस्टम एवं वेलबीइंग, परिवार नियोजन एवं जनसंख्या स्तर तथा जनसंख्या डाटा के स्रोत, रिपोर्ट एवं विकास पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की उपस्थिति में संपन्न सार्थक चर्चाओं को सुना।
उद्घाटन सत्र में श्री जी सी शुक्ला, मंत्री प्रबंधक, महाविद्यालय प्रबंध समिति,
श्री विनायक शर्मा, सहायक प्रबंधक, महाविद्यालय प्रबंध समिति सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन, डॉ नीतू बत्रा एवं श्री हनीफ ने किया।
प्रो भारती पांडेय ने समारोह के सफल समापन पर सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर देश विदेश से आए हुए अनेक शिक्षक, शोधछात्र एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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