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एनबीआरआई में अपुष्पी पौधों पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ।सीएसआईआर – राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान और इंडियन लाइकेनोलॉजिकल सोसाइटी, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से 9 से 11 दिसंबर 2024 तक आयोजित किये जा रहे ‘अपुष्पी पादप अनुसंधान में प्रगति और दृष्टिकोण विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन’ का आज उद्घाटन किया गया । कर्नाटक राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और गुलबर्गा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस.आर. निरंजना उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे ।
संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक एवं सम्मेलन के संयोजक डॉ. संजीवा नायका ने बताया कि सम्मेलन में देशभर से कुल 150 प्रतिभागी भाग लें रहे हैं। इन तीन दिनों में विशेषज्ञ वक्ताओं के व्याख्यान, पोस्टर प्रस्तुतियाँ और चर्चाएँ की जाएगी।
संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक एवं इंडियन लाइकेनोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. डी.के. उप्रेती ने बताया कि यह सोसायटी देश में क्रिप्टोगैम अनुसंधान, विशेषकर लाइकेनोलॉजी को बढ़ावा देती है। सोसायटी शोधकर्ताओं को अपना अनुसंधान कार्य प्रदर्शित करने के लिए सम्मेलन, सेमिनार, संगोष्ठी, कार्यशालाएं, प्रशिक्षण, पत्रिका और पुस्तकों के प्रकाशन जैसे विविध मंच प्रदान करती है। सोसायटी द्वारा उपलब्धि हासिल करने वाले शोधार्थी/वैज्ञानिकों को पुरस्कार, पदक और फ़ेलोशिप से सम्मानित भी किया जाता है।
इससे पूर्व में सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. पी ए शिर्के ने कहा की सीएसआईआर-एनबीआरआई देश के प्रमुख वनस्पति अनुसंधान संस्थानों में से एक है जो अपनी स्थापना के समय से ही अपुष्पी पादप पर अपने शोध के लिए जाना जाता है। संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा भारत में क्रिप्टोगैम्स की 100 से अधिक नई प्रजातियों की खोज की गयी है। इन पौधों का उपयोग रोगाणुरोधी गतिविधियों से लेकर कीटनाशक प्रोटीन तक बायोप्रोस्पेक्शन के लिए किया जाता है। संस्थान के पादपालय में दक्षिण एशिया में लाइकेन नमूनों का सबसे बड़ा संग्रह है। क्रिप्टोगैम्स से संबंधित नमूनों के संरक्षण के लिए हर्बेरियम को भंडार भी नामित किया गया है।
कर्नाटक राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष एवं गुलबर्गा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. एस.आर. निरंजना ने कहा कि हमारे शोध में, विशेष रूप से पारंपरिक शोध में, एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है और वनस्पति विज्ञान सहित विभिन्न शोध क्षेत्रों में चुनौतियों और तकनीकी प्रगति के कारण बहुआयामी विविधता आई है। उन्होंने उल्लेख किया कि बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और संस्थानों के बावजूद, गुणात्मक शोध पत्रों की संख्या मात्रात्मक शोध पत्रों की तुलना में काफी कम है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि क्रिप्टोगैम के क्षेत्र में, विशेष रूप से बायोप्रॉस्पेक्शन के संदर्भ में, अध्ययन बहुत कम हैं जिन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने छात्रों और युवा वैज्ञानिकों को अपने काम को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने के लिए लेखन एवं प्रस्तुतिकरण कौशल सीखने के लिए भी प्रोत्साहित किया
इंडियन लाइकेनोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा इस वर्ष डॉ. डी.डी. अवस्थी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार डॉ. जी.पी. सिन्हा, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, प्रयागराज के पूर्व वैज्ञानिक को दिया गया। । कुल 10 वैज्ञानिकों को इंडियन लाइकेनोलॉजिकल सोसायटी की फेलोशिप से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा, सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान कुछ वरिष्ठ वैज्ञानिकों को ‘ऑनर ऑफ एप्रिसिएशन’ से सम्मानित किया गया जिनमे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. अनुपम दीक्षित; बीएचयू, वाराणसी के प्रो. आर एन खरवार; दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. पीएल उनियाल एवं सिलचर विश्वविद्यालय के प्रो. जोयश्री रॉउत मुख्य है । दो शोधार्थियों, जयपुर के डॉ. के.सी. सैनी और प्रयागराज के डॉ. एस. मुथुकुमार को डॉ. डी.के. उप्रेती सर्वश्रेष्ठ पीएचडी थीसिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
सम्मेलन में आज के विभिन सत्रों में, विशेषज्ञों द्वारा दो मुख्य विषयक व्याख्यान एवं आठ आमंत्रित व्याख्यानों के साथ साथ शोधार्थियों द्वारा करीब 45 पोस्टर प्रस्तुतियां भी दी गयी ।
सम्मेलन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली; राष्ट्रीय अनुसंधान कोष, नई दिल्ली; जैव प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश और भारतीय स्टेट बैंक, लखनऊ द्वारा वित्त पोषित है ।