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10 – दिसम्बर- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
राम भगति निरुपम निरूपाधी ।
बसइ जासु उर सदा अबाधी ।।
तेहि बिलोकि माया सकुचाई ।
करि न सकइ कछु निज प्रभुताई
( उत्तरकांड 115/3-4)
राम राम 🙏🙏
गरूड जी को भक्ति के बारे में बताते हुए काकभुसुंडि जी कहते हैं कि राम जी सदा भक्ति के अनुकूल रहते हैं । राम जी की विशुद्ध भक्ति जिसके भी ह्रदय में बिना किसी बाधा के बसती है , उसे देखकर माया संकोच कर जाती है तथा उस पर अपना कुछ भी प्रभाव नहीं दिखा पाती है ।
राम जी भक्ति के अधीन हैं जबकि जीव माया के अधीन है । परंतु यदि राम जी की भक्ति हमारे ह्रदय में बस जाए तो माया की परेशानी से हमें मुक्ति मिल सकती है । उपाय एक ही है , विशुद्ध राम भक्ति । अत: भक्ति करें । अथ ! जय जय राम भगति , सीताराम भगति 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ