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सीतापुर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पद संभालते ही गौ रक्षा को लेकर पूरे प्रदेश में गौशालाओं के निर्माण कराए और गौ संवर्धन की जो पहल की थी वह स्थानीय स्तर पर जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते दम तोड़ती हुई नजर आ रही है हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि गौशालाओं में न तो चारे की उचित व्यवस्था है और ना ही पशुओं के बैठने के लिए उचित शेड प्रबंध यही नहीं बल्कि गौशालाओं की बदहाली का आलम तो यह है कि पशुओं के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए तैनात डॉक्टरों की लापरवाही गोवंश की मृत्यु का भी कारण बन रही है।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा ही मामला जनपद सीतापुर के विकासखंड परसेंडी की तालगांव गौशाला व उसी के चंद कदम दूर दूसरी पर बने मोहरैया गौशाला का है जहां जब संवादाता तालगांव गौशाला पहुंचा तो गौशाला की हालत देख दंग रह गया क्योंकि गोवंशियों के बारिश से बचने के लिए सेड का ना तो निर्माण है और न ही चारे के लिए कोई उचित व्यवस्था चारे में गोवंशियों को केवल सूखा भूसा वह भी नाम मात्र का दिया जाता है और कीचड़ में खड़े गोवंश अपनी बदहाली की कहानी मूक भाषा में खुद बयां कर रहे थे यही नहीं गौशाला की जब गहराई से पड़ताल की गई तो गौशाला में 3 गोवंश मरणासन्न की स्थिति में पडे मिले जिन्हें चील कौवे नोच नोच कर खा रहे थे जिन्हें देख जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही स्पष्ट दिखाई पड़ने लगी और संवादाता द्वारा और गहराई से देखा गया तो ऐसी स्थित गौवंशियों की सामने आई जोकि सभी के लिए अत्यंत कष्ट दाई हो सकती गौशाला के बीच बने जर्जर भवन में 1 गोवंश का शव मिला जोकि बहुत दर्दनाक था शव देख मुख्यमंत्री जी के ड्रीम प्रोजेक्ट में लग रहे पर्चे का सच सामने आ गया, इतना ही नहीं बल्कि इससे पूर्व में भी गौशाला का दौरा संवाददाता द्वारा किया गया था जिसमें भी 4 गौवंशियों के शव पन्नी के नीचे दबाए हुए मिले थे,, और आए दिन यहीं स्थित गौशाला की बनी रहती है।बल्कि यही नहीं बल्कि अगर बात दूसरे बने मोहरैया कला में गौशाला की करें तो जब उसकी पड़ताल की गई तो 3 गोवंशी मरणासन्न स्थिति में यहां भी मिले तो वहीं 4 गोवंशियो के शव पड़े हुए दिखे जिन्हें देख एक भयावह स्थिति सामने आई। अब बात यह है कि अन बोले मूक जानवरों के ऊपर हो रहा यह अत्याचार आखिरकार कब रुकेगा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा गौ संरक्षण संवर्धन के लिए खर्च की जाने वाली करोड़ों रुपयों की धनराशि का अवैध रूप से जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों की जेबों में जाना आखिर कब बंद होगा ।।