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मेरठ में गुपचुप तरीके से हो रही गांधी आश्रम की करोड़ो रूपये की जमीन की नीलामी को जिला प्रशासन ने रोक दिया। सोमवार को हो रही नीलामी की सूचना मंडलायुक्त सुरेन्द्र सिंह को दी गई थी। उन्होंने इसकी जानकारी डीएम दीपक मीणा को दी। जिलाधिकारी ने एसडीएम सदर संदीप भागिया को फोर्स के साथ भेजा। प्रशासन की टीम ने वहां पहुंचकर नीलामी प्रक्रिया को रुकवा दिया और कोर्ट के फैसले तक मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं करने की चेतावनी दी।
मेरठ में गांधी आश्रम की गढ़ रोड़ स्थित खसरा नंबर 5852 में स्थित 800 वर्गमीटर जमीन की नीलामी की कोशिश विवादों में आ गई है। इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश खुराना ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की हुई है। कोर्ट में मामला होने के बाद भी गांधी आश्रम प्रबंध समिति जमीन की नीलामी करा रही थी। एसडीएम संदीप भागिया ने बताया कि नीलामी प्रक्रिया रोक दी गई है। दोनों पक्षो से जमीन का रिकॉर्ड मांगा गया है।
गढ़ रोड पर हापुड़ चौराहा से तेजगढ़ी चौराहा जाते हुए सीधे हाथ की तरफ खसरा नंबर 5852 में स्थित खाली भूखंड का कुल क्षेत्रफल 3160 वर्ग मीटर था और यह जमीन गांधी आश्रम के प्रबंधन में कुमार आश्रम के नाम से थी। जमीन के मालिकों ने जब अपना हक मांगा तो मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया।
1995 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि उक्त जमीन से 800 वर्ग मीटर जमीन गांधी आश्रम को दान दी जाए, क्योंकि उसने लंबे समय तक इसकी देखभाल की है। आदेश पर अमल करते हुए जमीन के मालिक राजकुमारी पत्नी स्व. केएल कपूर और रानी कपूर आदि ने जमीन का दान पत्र तैयार कर गांधी आश्रम के पक्ष में रजिस्ट्री कर दी। रजिस्ट्री में यह भी स्पष्ट कर दिया कि गांधी आश्रम इस जमीन को व्यावसायिक नहीं बल्कि आवासीय उपयोग करेगा। गांधी आश्रम ने इसका कोई उपयोग नहीं किया और जमीन की चहारदीवारी कराकर एक गेट लगा दिया गया।
छह करोड़ के कर्ज में डूबा है गांधी आश्रम: रावत
गांधी आश्रम के सचिव पृथ्वी सिंह रावत का कहना है कि गांधी आश्रम पर वर्तमान में चार करोड़ रुपये बैंक लोन है, जबकि दो करोड़ के करीब कर्मचारियों की देनदारी है। कोरोना काल में गांधी आश्रम का कारोबार पूरी तरह प्रभावित हो चुका है, जिस कारण जमीन की नीलामी की जा रही है।
सर्किल रेट के आधार पर जमीन की कीमत करीब 4.80 करोड़ रुपये है। बावजूद इसके उन्होंने इसकी न्यूनतम बोली 6.30 करोड़ तय की है। यही नहीं, यह जमीन समझौते के तहत मिली थी और इसीलिए इसकी नीलामी की जा रही है। गांधी आश्रम की दूसरी संपत्ति उच्चस्तर के अधीन है। वह उसकी बिक्री नहीं कर सकते हैं।