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दादों थाने के 25 साल पुराने दो मुकदमों में आत्मसमर्पण कर जेल गए पूर्व विधायक वीरेश यादव की जमानत अर्जी मंजूर कर ली गई है। हालांकि, अभी दो अन्य मुकदमों में जमानत होना शेष है, इसलिए अभी उनकी रिहाई नहीं हो सकेगी। इधर, सोमवार को पूर्व विधायक की एसीजेएम प्रथम के न्यायालय में पेशी हुई, जहां दो मुकदमों का वारंट उन पर तामील कराया गया। वहीं शेष मुकदमों में से एक में जमानत पर सुनवाई के लिए 13 मई तारीख नियत कर दी गई है।
समाजवादी पार्टी के चार बार के पूर्व विधायक वीरेश यादव चार मई को एमपी/एमएलए मामलों की विशेष अदालत एडीजे-4 मनीषा कोर्ट में कुर्की आदेश पर आत्मसमर्पण कर गए। वहां से उन्हें जेल भेजा गया। अदालत ने दादों के हमले के दो मुकदमों में आज तक हाजिर न होने पर उनके खिलाफ कुर्की आदेश जारी किया था। इसके अलावा एसीजेएम न्यायालय में भी उन पर दो मुकदमे दादों थाने से जुड़े विचाराधीन हैं। वीरेश यादव के अधिवक्ता ने एडीजे न्यायालय में विचाराधीन दोनों मुकदमों में उसी दिन जमानत अर्जी दायर कर दी थी, जिस पर सुनवाई के लिए आज सोमवार की तारीख नियत थी।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता चंद्रशेखर दीक्षित, बार अध्यक्ष जगदीश सारस्वत, पूर्व डीजीसी अबसार किदवई के अनुसार वीरेश को दादों के वर्ष 1997 के कालीचरण द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में जमानत दे दी गई है। अभी 1998 के दर्शन सिंह की ओर से दर्ज हमले के मुकदमे में जमानत पर समय लिया गया है, जिस पर न्यायालय ने 13 मई तारीख नियत कर दी गई। इस बात की तस्दीक एडीजीसी कुलदीप तोमर ने भी की है। इधर, चंद्रशेखर दीक्षित के अनुसार एसीजेएम प्रथम की अदालत में चल रहे दादों के ही 1997 गाली-गलौज व धमकी के मुकदमे में भी जमानत मंजूर कर ली गई है।