श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई

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01 जून – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏

माया ईस न आप कहुँ
जान कहिअ सो जीव ।
बंध मोच्छ प्रद सर्बपर
माया प्रेरक सीव ।।
( अरण्यकांड, दो. 15)
राम राम 🙏🙏
दंडकवन प्रवास के दौरान एकबार लक्ष्मण जी ने राम जी से ईश्वर व जीव का भेद पूछा हैं जिससे मोह व भ्रम दूर हो जाएँ । राम जी कहते हैं कि जो माया , ईश्वर व अपने स्वरूप को नहीं जानता है वह जीव है तथा जो कर्म के अनुसार बंधन व मोक्ष देने वाला , सबसे परे व माया का प्रेरक है वह ईश्वर है ।
हमारी गति यह है कि हम न तो अपने को जानते हैं न ही ईश्वर को । राम स्मरण करें तो सब अज्ञान दूर हो सकता है । “सुमिरत जाहिं मिटइ अज्ञाना । सोई सर्वग्य राम भगवाना “ ।अस्तु राम स्मरण से आप सब कुछ जान सकते हैं । अथ ! जय राम राम , जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ

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