ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय स्थानीय सेवाकेंद्र अयोध्या में रक्षाबंधन के पर्व पर आध्यात्मिक रहस्य को बताते हुए मनाया गया रक्षाबंधन का पर्व

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ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय स्थानीय सेवाकेंद्र अयोध्या में रक्षाबंधन के पर्व पर आध्यात्मिक रहस्य को बताते हुए मनाया गया रक्षाबंधन का पर्व

अयोध्या (डीकेयू लाइव ब्यूरो) सुरेंद्र कुमार।
देश में हिन्दू त्योहारों से नवचेतना का संचार होता है और सुषुप्त शक्तियां जागृत होती हैं। ये बातें प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेंद्र साई का पुरवा दर्शन नगर में रविवार को मनाए गए अलौकिक रक्षाबंधन पर्व कार्यक्रम में ब्रह्मकुमारी अल्का दीदी ने कही। इस मौके पर परमपिता शिव परमात्मा के साथ अलौकिक राखी मनाई गई। बहनों ने सभी को रक्षासूत्र के साथ प्रसाद की डिब्बा भेंट की। अलौकिक राखी मनाने के लिए ब्रह्मकुमारी अल्का दीदी व बीके मुकेश जी रामनगरी के संतों के आश्रम में पहुंच राखी बांधी और नशा मुक्ति का संकल्प करवा रही थी। अयोध्या के आसपास के तमाम गांवों में इसका बहुत ही अच्छा संदेश गया। लोगों ने अपने नशा को त्याग करने का संकल्प भी लिया। साई का पुरवा में सामूहिक ईश्वरीय विश्व विद्यालय के
रक्षाबंधन पर्व मनाया गया जिसमें अयोध्या – और धर्म तीर्थ पुरोहित अध्यक्ष राजेश महराज
तमाम रवि भाजपा नेता सहित तमाम गणमान्य लोग मौजूद हुए। इस अवसर पर सेवाकेंद्र प्रभारी ने का ब्रह्माकुमारी अल्का दीदी ने आगे कहा कि मूहिक त्योहारों में जब संगठन में सत्संग करते,ईश्वरीय परिवार से मिलते हैं तो हमारे अंदर नवचेतना का संचार होता है। इसके साथ ही लोग प्रभारी हा कि करते, अंदर की सुषुप्त शक्तियां जागृत हो जाती हैं। कभी- कभी कोई साधक आलस्यवश अज्ञानता रूपी कुंभकरण की नींद में सोने लग जाते हैं। तब ऐसे में इन त्योहारों से पुनः जागरण का संकल्प आ जाता है। साथ ही कार्यक्रम के संयोजक बीके मुकेश जी रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि यूं तो बंधन किसी को अच्छा नहीं लगता है लेकिन, इस रक्षाबंधन के बंधन में सभी बंधना चाहते हैं। जब हम ईश्वर के प्रेम व मर्यादाओं के बंधन में बंध जाते हैं तो विकारों और तमाम प्रकार की बुराइयों के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। विकारों से मुक्त होने और अनैतिकता से दूर रहने से स्वतः ही हमारी रक्षा होने लगती है। ऐसे में यही अदृश्य सत्ता परमात्मा की शक्ति है जो अपनी शिक्षाओं के द्वारा ही हमारी रक्षा करते हैं। इसलिए सत्संग प्रतिदिन आवश्यक है।

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