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नल से पानी पहुंचा हर घर, जेई और एईएस हुआ छू-मंतर
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। साल था 2005, पूर्वांचल में जपानी एन्सेफलाइटिस (जेई) और एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बच्चों की मौत ने देश की संसद को हिला दिया था। इस एक साल में 6000 से ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आए, जिनमें से 1400 से ज्यादा की मौत हो गई थी। मामला संसद में उठा तो इसके लिए नीति बनी और तमाम प्रयास हुए, लेकिन साल 2017 आते-आते जेई और एईएस से मौतों का आंकड़ा 50 हजार के पार हो गया था। लेकिन अब दौर बदल गया है। बीते दो साल में केवल बहराइच और कुशीनगर में एक-एक मौत दर्ज की गई है। इसके अलावा कहीं भी जेई से कोई मौत नहीं हुई। एईएस के मामलों में भी 99 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। इसकी एक अहम वजह है ‘जल क्रांति’। हर घर में नलों से पहुंचता साफ पानी इस भयावह बीमारी के नियंत्रित होने का अहम कारण है।
नमामि गंगे के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने बताया, “साल 1978 में उत्तर प्रदेश में जेई का पहला मामला दर्ज किया गया था। शुरुआती दो दशकों में इस बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों में से 30 प्रतिशत से ज्यादा की मौत हो जाती थी। खास बात यह है कि इसका प्रभाव क्षेत्र पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिले थे और प्रभावितों में सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की थी। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों के काटने की वजह से व्यक्ति जेई से ग्रसित होता है जबकि एईएस दिमागी बुखार है। मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने क्षेत्र को साफ-सुथरा रखने और शुद्ध पानी पहुंचाने की योजना बनाई।
इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण अभियान तेज किया। साफ पानी पहुंचाने की नीति को अंजाम दिया गया जल जीवन मिशन की ‘हर घर नल से जल’ योजना से। चूंकि मामला गंभीर था और सरकार की प्राथमिकता भी, इसलिए प्रभावित जिलों में नल से जानी पहुंचाने की मुहिम को बेहद तेज गति दी गई। जल जीवन मिशन के मुताबिक प्रभावित जिलों में 85 से लेकर 92 प्रतिशत तक घरों में टैप वॉटर पहुंचाया जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक साफ पानी की आसान उपलब्धता ने पानी से फैलने वाले संक्रमण की संभावनाओं को कम किया है और इसके अलावा लोगों को हाइड्रेटेड रहने में मदद मिली है। इससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हुई है। जेई और एईएस जैसी बीमारियों से लड़ने यह भी एक अहम पहलू रहा है।
जल जीवन मिशन के मुताबिक जल्द ही इन क्षेत्रों के सभी 100 प्रतिशत घरों में टैप वॉटर की पहुंच होगी, जिसकी गुणवत्ता भी अच्छी होगी।
‘साफ पानी की उपलब्धता से बीमारियों के फैलने की सम्भावना कम हुई है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ने भी इन जानलेवा बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद की है। जल्द ही हम 100 प्रतिशत घरों में टैप वॉटर पहुंचाने का लक्ष्य पूरा कर लेंगे। साफ पानी स्वस्थ जीवन की प्राथमिक आवश्यकता है। हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कटिबद्ध हैं।’