जन्म जयंती पर आद्य शंकराचार्य का स्मरण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए

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जन्म जयंती पर आद्य शंकराचार्य का स्मरण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए
लखनऊ ब्यूरो चीफ
भारत समृद्धि के तत्वावधान में आयोजित एक विचार गोष्ठी में आदि शंकराचार्य का स्मरण किया गया और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। कार्यक्रम का संचालन रीना त्रिपाठी ने करते हुए कहा की सनातन धर्म को तत्त्वमीमांसा के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान करने वाले महापुरुष ,महान दार्शनिक एवं धर्मप्रवर्तक, अद्वैत वेदान्त को ठोस आधार प्रदान कर भारतीय दर्शन को अमृत प्रदान किया। सभी ने आदि गुरु शंकराचार्य जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम को शुरू किया।
संगोष्ठी में बोलते हुए मुख्य वक्ता शैलेंद्र दुबे ने कहा की आदि शंकर भगवान् शंकर के साक्षात अवतार थे | आचार्य शंकर अद्वैत वेदांत के प्रतिष्ठाता तथा सन्यासी सम्प्रदाय के गुरु, सत्यदृष्टा ऋषि  थे | उनकी प्रतिभा अलौकिक थी और साधना अद्वितीय | अपनी भास्कर चेतना तथा ब्रह्मज्ञान के फलस्वरूप उन्होंने वैदिक सनातन हिन्दू धर्म को न केवल विघटित होने से बचा लिया अपितु अनेक आवश्यक रचनात्मक सुधार कर उसे पुष्ट नीव पर पुनर्स्थापित किया |उन्होंने कहा आचार्य ने जगत को मिथ्या समझते हुए भी उसकी व्यावहारिक सत्ता का प्रतिपादन किया ,आचार्य ने वेदान्त को व्यावहारिक धर्म बना दिया | आज भारत में वैदिक धर्म की प्रतिष्ठा , वेदों के प्रति श्रद्धा , ब्रह्मज्ञान के प्रति आदर ,अनन्य भक्ति ,त्याग ,तपस्या ,लोकसंग्रह की भावना जो कुछ भी दिखाई देता है उसका श्रेय आचार्य शंकर को ही है | आचार्य उच्च कोटि के प्रौढ़ दार्शनिक थे , निस्पृह और महान त्यागी सन्यासी थे , पंडितों में उद्भट पंडित और विद्वानों में श्रेष्ठतम विद्वान् थे |. आज 1200 साल के बाद आदि शंकराचार्य का 32 वर्ष का अलौकिक जीवन साक्षातरूपेण अबाधित सत्य का मूर्त प्रकाश है | आचार्य शंकर के जीवन का आज हमें नए रूप में स्मरण करना होगा और उनके जीवन के अनेक द्वंदों को आत्मज्ञान में समन्वित करने की प्रेरणा तथा उसका उपाय आचार्य शंकर के जीवन और उनकी वाणी से ग्रहण करना होगा |
वैशाख शुक्ल पंचमी को आज प्रातः श्री बदरी नाथ के कपाट खुल गये हैं। आज ही की तिथि को आदि शंकराचार्य का आविर्भाव भी हुआ। उनका पार्थिव शरीर महाप्रस्थान के बाद नही मिला था, वह केदारनाथ ज्योतिर्लिंग में ही विलीन हो गया था।आचार्य शंकर के श्री चरणों में प्रणाम , बारम्बार प्रणाम ।।
संगोष्ठी में मुख्य रूप से आशियाना उपवन के संस्थापक राजकुमार शुक्ला, त्रिवेणी मिश्रा, रीना त्रिपाठी, पूर्व सभासद कमलेश सिंह, शिव प्रकाश दिक्षित, अनिल सिंह ,रमेश शुक्ला ,पंडित हृदय नारायण शर्मा,इंजीनियर जितेंद्र गुर्जर, इंजीनियर आलोक श्रीवास्तव, अनुपम सिंह, उषा त्रिपाठी, रेनू त्रिपाठी, रश्मि प्रधान, दिनेश प्रकाश प्रधान, सुमन दुबे, नीता मल्होत्रा, लालू यादव सहित आशियाना के निवासी उपस्थित रहे।

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