सुविधाओं और सेवाओं में 91 प्रतिशत अंकों के साथ डोभी सीएचसी को लक्ष्य का सर्टीफ़िकेट

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  सुविधाओं और सेवाओं में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) डोभी को लेबर रूम क्वालिटी इम्प्रूवमेंट (लक्ष्य) का प्रमाणपत्र मिला है। इसके साथ ही डोभी सीएचसी लक्ष्य सर्टिफिकेट पाने वाली पूर्वांचल की पहली स्वास्थ्य इकाई बन गई है।
       केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में पत्र मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह तथा डोभी के प्रभारी चिकित्साधिकारी (एमओआईसी) डॉ एसके वर्मा के मेल पर आ गया है। इस पर खुशी जताते हुए सीएमओ ने पूरी टीम को बधाई दी। साथ ही आगे और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया। वहीं डोभी के एमओआईसी डॉ एसके वर्मा ने इसे डोभी के कर्मचारियों की टीम वर्क का परिणाम बताया। साथ ही जिला स्तर सीएमओ डॉ लक्ष्मी सिंह, डीपीएम सत्यव्रत त्रिपाठी के मार्गदर्शन को इसका श्रेय दिया।
    जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) सत्यव्रत त्रिपाठी ने बताया कि लक्ष्य के तहत सीएचसी और जिला अस्पताल के प्रसव कक्ष (लेबर रूम) की गुणवत्ता के लिए निर्धारित सभी मानकों पर 70 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले पुरस्कृत किए जाते हैं। 20 और 21 अक्टूबर 2021 को लक्ष्य का मूल्यांकन करने के लिए नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर (एनएचएसआरसी) नई दिल्ली से एक टीम आई थी। इसमें गुजरात से डॉ पियूष टेलर तथा केरल से डॉ शुभगन थे। इसका मूल्यांकन आठ मानकों के आधार पर किया गया। सर्विस प्रोविजन, पेशेंट राइट्स, इनपुट्स, सपोर्ट सर्विसेज, क्लीनिकल सर्विसेज, इनफेक्शन कंट्रोल, क्वालिटी मैनेजमेंट और आउटकम के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है।
       सर्विस प्रोविजन में मातृ, शिशु, किशोर की स्वास्थ्य सेवाएं, जांचें तथा उपचार की सुविधा सहित कई अन्य सेवाएं परखी जाती हैं।
        पेशेंट राइट्स में मरीजों के साथ कर्मचारियों का व्यवहार, गोपनीयता, स्वास्थ्य सेवाओं की सुगमता एवं रोगियों के अधिकारों का प्रदर्शन देखा जाता है।
       इनपुट्स में स्पेस, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, वेटिंग एरिया, नर्सिंग स्टेशन ड्यूटी रूम आदि देखा जाता है।
        सपोर्ट सर्विसेस उपकरणों के रखरखाव और उनकी क्रियाशीलता, प्रसव कक्ष में रेफ्रिजरेटर, रजिस्टर, दीवारों की साफ-सफाई, बिजली की आपूर्ति, कर्मचारियों का ड्रेस कोड देखा जाता है।
          क्लीनिकल सर्विसेज में मरीजों का पंजीकरण, परामर्श, उपचार, प्रोटोकॉल प्रदर्शन, उच्च जोखिम गर्भवती का चिह्नीकरण, संदर्भन और फालोअप की व्यवस्था देखी जाती है।
          इंफेक्शन कंट्रोल में स्टाफ का टीकाकरण, चिकित्सकीय जांच, हाथ के साफ-सफाई की आदतें, बायोमेडिकल प्रबधन देखते हैं।
        क्वालिटी मैनेजमेंट में क्वालिटी सर्कल का गठन कर माह में नियमित बैठक करना, गैप चिह्नित कर उसे पूर्ण करना आदि देखा जाता है।
         आउटकम में कितना प्रसव हुआ, प्रसव के सापेक्ष परिवार नियोजन के साधनों की उपलब्धता, आक्सीटोसिन का शत-प्रतिशत प्रबंधन आदि देखा जाता है।
        इनमें सर्विस प्रोविजन में 82 प्रतिशत, पेशेंट राइट में 100 प्रतिशत, इनपुट्स में 90 प्रतिशत अंक मिले। सपोर्ट सर्विसेज में 97 प्रतिशत, इनफेक्शन कंट्रोल में 95 प्रतिशत, क्वालिटी मैनेजमेंट में 84 और आउटकम में 90 प्रतिशत अंक मिले। ओवर आल 91 प्रतिशत अंक मिले।

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