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विश्व मुक्केबाजी के चैंपियनशिप के फाइनल में भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने 52 किलोग्राम भारवर्ग में थाईलैंड की जितपोंग जुटामेंस को एकतरफा अंदाज में 5-0 से हरा दिया। इसके साथ ही निकहत भारत की पांचवीं महिला मुक्केबाज बन गईं, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। विश्व चैंपियनशिप का फाइनल भले ही उन्होंने एकतरफा अंदाज में जीता हो, लेकिन यहां तक का सफर तेलंगाना की मुक्केबाज के लिए आसान नहीं रहा है। अपने करियर की शुरुआत से ही उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
निकहत ने जब मुक्केबाजी में अपना करियर बनाने का फैसला किया था, तब उनके पिता ने कहा था कि बॉक्सिंग महिलाओं के लिए नहीं है, समाज यही सोचता है और यह पुरुषों का खेल है। इसके बाद निकहत ने अपने पिता की बात गलत साबित करने की ठानी और अब वो ऐसा कर चुकी हैं।