‘चीन की कार्रवाई शांति व स्थिरता के खिलाफ, पर अमेरिका झुकेगा नहीं, ताइवान की मदद जारी रहेगी’

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अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की हालिया ताइवान यात्रा के बाद चीन ने अपने इस पड़ोसी स्वायत्त क्षेत्र की कड़ी सैन्य घेराबंदी कर ली है। सैन्य अभ्यास के जरिए उसने इस द्वीप देश को डराने की कोशिश की है। इसे लेकर दोनों देशों व अमेरिका के बीच तनातनी जारी है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के उप सहायक और एशिया प्रशांत मामलों के समन्वयक कुर्ट कैंपबेल ने बड़ी बात कही है।

दरअसल, चीन ताइवान को अपना स्वायत्त क्षेत्र मानता है, लेकिन वह एक स्वतंत्र देश के रूप में उसका अस्तित्व स्वीकार नहीं करता। वह उस पर अपना प्रभुत्व मानता है। इसी सिलसिले में शुक्रवार को कैंपबेल ने कॉन्फ्रेंस कॉल में कहा कि चीन के कदम मूल रूप से शांति व स्थिरता के खिलाफ हैं। आने वाले सप्ताहों में चीन ये कदम और तेज कर सकता है। वह ताइवान पर दबाव की कार्रवाई लगातार करता रहेगा। यह दबाव आने वाले हफ्तों और कई महीनों तक  जारी रहेगा। इसका मकसद स्पष्ट रूप से ताइवान को डराना और उसकी आजादी को कम करना है।

कैंपबेल ने कहा कि अमेरिका ताइवान के खिलाफ चीन के कदमों को देखते हुए शांतिपूर्वक ठोस कदम उठाता रहेगा ताकि क्षेत्र में शांति व स्थिरता कायम रखी जा सके। वह लंबे समय से चली आ रही अपनी नीति के अनुसार ताइवान की मदद करता रहेगा। चूंकि चुनौतियां लंबे समय तक रहने वाली है, इसलिए विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अमेरिकी कदम आगामी हफ्तों और महीनों में नजर आएंगे। हम नहीं झुकेंगे और धीरज के साथ प्रभावी कदम उठाएंगे। अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानूनों की इजाजत के मुताबिक जहां तक संभव होगा ताइवान के इलाकों में उड़ान भरना, समुद्री सुरक्षा और जहाजों की आवाजाही जारी रखेगा।इन कदमों में ताइवान की खाड़ी में हवाई और समुद्री परिवहन शामिल है।

कैंपबेल ने कहा कि हम ताइवान रिलेशंस एक्ट के तहत अपनी वचनबद्धताओं को पूरा करेंगे। इसमें में ताइवान की आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करना और उसके खिलाफ ताकत या अन्य किसी तरह की जबरदस्ती के किसी भी प्रयास का विरोध करना शामिल है। ताइवान की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था या लोगों के जीवन को खतरे में डालने के किसी भी प्रयास का विरोध किया जाएगा। चीन द्वारा अमेरिका के साथ जलवायु परिवर्तन वार्ता स्थगित करने और संवाद के चैनलों को बंद करने के फैसलों का जिक्र करते हुए कैंपबेल ने बीजिंग से उन चैनलों को फिर से शुरू करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि कई देश इस इलाके में शांति और स्थिरता कायम रखने में गहरी रुचि रखते हैं।

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