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ट्विन टावर को गिराने से पहले दस ब्लैक बॉक्स लगाए गए थे। ब्लैक बॉक्स को धमाके के दौरान कंपन, आवाज और अन्य बिंदुओं को मापने के लिए लगाया गया था। बृहस्पतिवार को मलबे से दो ब्लैक बॉक्स मिल गए, जिन्हें एडिफिस इंजीनियरिंग ने सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) को सौंप दिया है। इसमें भूकंप को मापने वाला यंत्र भी लगा है। ब्लैक बॉक्स पर काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) और सीबीआरआई के अलावा सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च धनबाद के वैज्ञानिक काम रहे हैं। वहीं, मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज के संयुक्त निदेशक अजय राघव ने मौके का निरीक्षण किया। उनके साथ प्राधिकरण के अधिकारी भी उपस्थित रहे। निरीक्षण का मकसद ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण के बाद पर्यावरण में बदलाव का आकलन और मलबे के बेहतर तरीके से निस्तारण की पुष्टि करना रहा। इस दौरान बताया गया कि 30 हजार मीट्रिक टन मलबे को सीएंडडी प्लांट में भेजा जाएगा। इससे निर्माण सामग्री बनेगी। इसका इस्तेमाल फुटपाथ पर टाइल के अलावा निर्माण के लिए जरूरी उत्पाद बनाने में होगा। साइट पर मलबे को तोड़ने के दौरान जेट पंप चलाने, पानी का छिड़काव करने और धूल उड़ने वाले स्थानों को ढकने के निर्देश दिए गए हैं।
पिलर में क्यों आई दरार, हो रही जांच
एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के कुछ पिलरों में दरार आने की बात सामने आई है। अब सुपरटेक ओर से नियुक्त एजेंसी इसका पता लगा रही है कि यह दरारें कैसे आईं। अध्ययन में यह पता लगेगा कि यह दरारें धमाके से पहले की हैं या बाद में आईं हैं। एजेंसी का कहना है कि अब तक 100 से ज्यादा पिलर की जांच की गई है। इसे रिबाउंड हैमर और कोर कटिंग टेस्ट के माध्यम से जांचा जाएगा। इसके सैंपल लैब में भेजे जाएंगे। एक सप्ताह में रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा कि पिलर कितना मजबूत है।
अध्ययन में यह लगाया जाएगा पता
ब्लैक बॉक्स से पता चलेगा कि ट्विन टावर किस तरह से गिरे। गति कितनी थी। किस और टावर झुके। कंपन कितना था। किस तरह से धमाके को अंजाम दिया गया।