अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन विश्व समाज के लिए मार्गदर्शक

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अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन विश्व समाज के लिए मार्गदर्शक

– देश-विदेश से पधारे न्यायविदों की आम राय

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 24वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के तीसरे दिन आज 61 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों एवं कानूनविदों ने जोरदार शब्दों में नई विश्व व्यवस्था की आवाज उठाई और इस दिशा में सी. एम. एस. द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के तीसरे दिन के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता मॉरीशस सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीबी रेहाना मुंगली-गुलबुल ने की। यह पाँच दिवसीय ऐतिहासिक सम्मेलन सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है।

अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के तीसरे दिन के पहले प्लेनरी सेशन में बोलते हुए मोजाम्बिक के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एडेलिनो मैनुअल मुचांगा ने कहा कि यह सम्मेलन हम सभी के लिए एक सीखने का अवसर भी है। हमारा मानना है कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून सभी देशों पर समान रूप से लागू होना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने कहा कि भारतीय संविधान की धारा 51 हम एकता व शान्ति के लिए प्रेरित करती है। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना हमारे संविधान में रची-बसी है। अंगोला सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति डा. जोएल लियोनार्डो ने कहा कि इस सम्मेलन ने विश्व का ध्यान भारतीय संविधान की धारा 51 की ओर आकर्षित किया है, जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति सुरक्षा को बढ़ावा देने की बात कही गयी है ।

मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के तीसरे दिन आज 61 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने विभिन्न पैरालल सेशन्स में ज़गकर चर्चा परिचर्चा की। जहाँ एक ओर देश-विदेश के न्यायविदों व कानूनविदों ने ‘रिफार्म ऑफ यू.एन. चार्टर’ विषय के अन्तर्गत ‘रिफ्रेशिंग द यूएन. चार्टर टू सर्व एज ए ग्लोबल कान्स्टीट्यूशन एण्ड सोशल कान्ट्रैक्ट, ‘रिप्लेसिंग द वन स्टेट-वन वोट’ इन यू.एन. जनरल असेंबली बाई ए वेटेड वोटिंग सिस्टम आदि विषयों पर गंभीर विचार विमर्श किया तो वहीं दूसरी ओर इन्फोर्सेबल वर्ल्ड लॉ विषय के अन्तर्गत कंडीशन अण्डर व्हिच रेस्पेक्ट फॉर ट्रीटी आब्लीगेशन्स एण्ड अदर इण्टरनेशनल लॉ कॅन बी मेन्टेन्ड मैकेनिज्म ऑफ इन्फोसिंग इण्टरनेशनल लॉ इन एडीशन टु ट्रेडीशनल इन्स्टीट्यूशन्स ऑफ कम्प्लायन्स’, ‘नेशनल एक्सेप्टबिलिटी ऑफ यूनिवर्सिल मैन्टेड्स अगेन्स्ट वॉर एण्ड वायलेन्स आदि विषयों पर सारगर्भित विचार रखे। इसी प्रकार ह्यूमन डेवलपमेन्ट एजूकेशन, हेल्थ, एम्प्लॉयमेन्ट, इनइक्वालिटी एक्शन फॉर क्लाइमेट चेन्ज’, डिसआर्मामेन्ट एण्ड ए यू.एन. पीस फोर्स, रोल ऑफ एन.जी.ओ.. सिविलि सोसाइटी, स्मार्ट कोलीशन इन ग्लोबल गवर्नेन्स थीम के अन्तर्गत विभिन्न विषयों एवं उप-विषयों पर जमकर विचार-विमर्श हुआ।

इस ऐतिहासिक सम्मेलन के संयोजक व सी.एम.एस. संस्थापक, डा. जगदीश गाँधी ने आज एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि न्यायविदों व कानूनविदों का कहना था कि जब तक हम विभिन्नताओं में एकता नहीं स्थापित करते, हम शान्ति व सुख से नहीं रह सकते। आज ऐसी कानून व्यवस्था की आवश्यकता है जिससे विश्व में न्याय हो और एकता व शान्ति स्थापित हो सके, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाये, बच्चों पर अत्याचार व अन्याय समाप्त हो. सबको चिकित्सा का लाभ मिल सके और युद्ध समाप्त हो ।

सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि 61 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों द्वारा एक नवीन विश्व व्यवस्था पर गहन चिन्तन, मनन व मंथन का दौर जारी है। विभिन्न देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों व अन्य गणमान्य अतिथियों के सम्मान में आज सायं 7.00 बजे इन्दिरा गाँधी प्रतिष्ठान के ज्यूपिटर हॉल में सांस्कृतिक संध्या एवं रात्रिभोज का आयोजन किया गया है। प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इस अवसर पर मुख्य अतिथि होंगे।

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