यू.पी. प्रेस क्लब में लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की प्रेस वार्ता

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यू.पी. प्रेस क्लब में लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की प्रेस वार्ता

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। वर्तमान में तख्त श्री हजूर साहिब के गुरुद्वारा एक्ट 1956 को परिवर्तित करने पर की गई जिसमें लखनऊ के अधिकांश सिख प्रतिनिधित्व उपस्थित था।
सरदार राजेंद्र सिंह बग्गा अध्यक्ष लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अवगत कराया कि 1956 का गुरुद्वारा एक्ट जो विशेष तौर से तख्त श्री हजूर साहिब के कार्यकारिणी कमेटी के लिए आयोजित किया गया था उसको संशोधित कर 2024 एक्ट महाराष्ट्र सरकार द्वारा अनुमोदित करने पर पूरे विश्व के सिखों एवं गुरु नानक नाम लेवा संगत में रोष उत्पन्न हुआ है।
लखनऊ गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी के महामंत्री स. हरपाल सिंह जग्गी ने अवगत कराया कि तख्त श्री सचखंड हूजूर साहिब नांदेड़ महाराष्ट्र की 1956 के एक्ट के अनुसार पूर्व में 17 सदस्यों वाली गठित कमेटी जिसमें प्रमुख सिख संगठन जो महत्वपूर्ण स्थान सिख समाज में रखते हैं की भूमिका होती थी में 6 सदस्य महाराष्ट्र सरकार द्वारा नामित, 4 सदस्य SGPC द्वारा नामित, 3 सदस्य हजूरिया खालसा द्वारा नामित, 2 सिख MP, 1 तेलंगाना एवम 1 इंदौर से होता था। इन्हीं 17 द्वारा अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती थी। 2024 में महाराष्ट्र सरकार ने बड़ी चतुराई से हजूर साहिब का यह एक्ट सदन से अनुमोदित कर संशोधित कर दिया और बिना सिखों के उचित प्रतिनिधित्व के कमेटी का सरकारीकरण कर दिया गया है, जिसमे सीधे 12 सदस्यों की भागीदारी महाराष्ट्र द्वारा नामित सदस्यों से कर दी गई है। इस एक्ट अनुसार 12 सदस्य महाराष्ट्र से, 2 SGPC द्वारा नामित एवं केवल 3 सदस्य स्थानीय नादेड़ के लिये होंगे।
इस प्रकार अब ना अब कोई सिख एम पी की सदस्यता होगी और ना पंथ खालसा हजूरिया की। अध्यक्ष का चयन भी अब केवल महाराष्ट्र से ही होगा।
इससे स्पष्ट है महाराष्ट्र सरकार अपना सम्पूर्ण नियंत्रण हजूर साहिब पर चाहती है जो असंवैधानिक है।
सरदार सतपाल सिंह मीत प्रवक्ता ने अवगत कराया की SGPC एवम हजूर साहिब द्वारा सिंह साहिब हजूर साहिब कुलवंत सिंह जी की अगुवाई मे रोष प्रदर्शन किया गया।दिल्ली एवम अन्य शहरों मे भी रोष प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इस संदर्भ में लखनऊ गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से एक ज्ञापन भी मुख्यमंत्री महाराष्ट्र
को दिया जाएगा। जिसमे मांग की जाएगी कि 2024 के एक्ट को सरकार निरस्त करके 1956 के एक्ट को बहाल करें।

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