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आचार्य श्री विद्यासागर गौशाला में हुई वर्षा योग चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना
– जैन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ धर्म है इसकी शिक्षाओं को धारण करें व सम्पर्क में रहने वाले लोगों को भी जैन धर्म की शिक्षाओं से अवगत करायें – ऐलक विज्ञान सागर महाराज
– सभी को संस्कारवान होना चाहिए। संस्कार के बिना धर्म, समाज व देश आगे नही बढ़ सकता – ऐलक विज्ञान सागर महाराज
मंड़ौला, गाजियाबाद। विवेक जैन।
जनपद बागपत और गाजियाबाद की सीमा पर मंड़ौला के निकट स्थित सुभानपुर गांव में स्थित आचार्य श्री विद्यासागर गौशाला में विधि-विधान के साथ मुनि श्री 108 नेमिसागर जी महाराज और ऐलक श्री 105 विज्ञानसागर जी महाराज के वर्षा योग चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना की गयी। कार्यक्रम में ध्वजारोहण, मंगलाचरण, चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन, महाराज श्री को श्रीफल भेंट, अतिथि सम्मान और महाराज श्री ऐलक श्री विज्ञानसागर जी महाराज के प्रवचन हुए। महाराज श्री ने जैन धर्म को विश्व का सबसे प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ धर्म बताते हुए जैन धर्म की शिक्षाओं को धारण करने की बात कही। उन्होंने संस्कार की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में संस्कार का विशेष महत्व है। कहा कि हमें संस्कारवान होना होगा। यदि हम संस्कारवान नही रहेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ियों को संस्कार कैसे मिलेगा। संस्कार के बिना धर्म, समाज व देश आगे नही बढ़ सकता। कार्यक्रम में दिल्ली एनसीआर से सैकड़ों श्रद्धालुगण उपस्थित हुए और धर्मलाभ लिया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने गौशाला में श्रमदान किया। कार्यक्रम के आयोजक जय शांतिसागर परिवार मंड़ौला ने आने वाले सभी श्रद्धालुगणों का आभार व्यक्त किया।