भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक ने मोबाइल मेडिकल यूनिट परियोजना को हरी झंडी दिखाई

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भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक ने मोबाइल मेडिकल यूनिट परियोजना को हरी झंडी दिखाई

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक, (सीबी एंड एस), श्री अश्विनी कुमार तिवारी के साथ श्री शरद एस. चांडक, मुख्य महाप्रबन्धक, एसबीआई, लखनऊ मण्डल, श्री संजय प्रकाश, एमडी और सीईओ, एसबीआई फाउंडेशन, और श्रीमती सोनाक्षी श्री, राष्ट्रीय प्रमुख सीएसआर, एवं श्री तेजबीर सिंह, ऑपरेशन, ग्रामीण विकास ट्रस्ट ने भारतीय स्टेट बैंक के स्थानीय प्रधान कार्यालय, लखनऊ में एक मोबाइल मेडिकल यूनिट परियोजना “एसबीआई संजीवनी-क्लिनिक ऑन व्हील्स” को हरी झंडी दिखाई, जो गैर सरकारी संगठन ग्रामीण विकास ट्रस्ट के साथ साझेदारी में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के भारवां ब्लॉक में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए है। कार्यक्रम में बोलते हुए श्री. अश्विनी कुमार तिवारी ने कहा कि, “हेल्थकेयर एसबीआई की दीर्घकालिक सीएसआर रणनीति के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक रहा है और हम मानते हैं कि हमारी मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से एसबीआई संजीवनी की पहल दूरदराज के क्षेत्रों में समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करेगी। यह पहल न केवल दरवाजे पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगी, बल्कि विशेष अभियान और शिविरों के माध्यम से इन क्षेत्रों में जागरूकता पैदा करेगी और स्वच्छता प्रथाओं में सुधार करेगी। एसबीआई हमारे देश के सभी राज्यों में इस पहल को बढ़ाने की कल्पना करता है। इस अवसर पर ग्रामीण विकास ट्रस्ट की टीम के सदस्यों के साथ भारतीय स्टेट बैंक के महाप्रबंधक, उप महाप्रबंधक, अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
एमएमयू इकाई अत्याधुनिक नैदानिक सुविधाओं से लैस होगी और इसके साथ एक समर्पित मेडिकल टीम होगी जिसमें एक डॉक्टर, लैब तकनीशियन और फार्मासिस्ट शामिल होंगे।
यह एमएमयू इकाई पूरे वर्ष सेवाएं प्रदान करेगी, जो ग्रामीण समुदायों को उनके दरवाजे पर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने में मदद करेगी, इस प्रकार दैनिक आजीविका गतिविधियों के लिए उनके मूल्यवान समय की बचत करेगी। नैदानिक सुविधाओं के साथ, यूनिट इन दूरदराज के गांवों में विशेष स्वास्थ्य और जागरूकता शिविर भी चलाएगी। परियोजना समर्थन के लिए स्थानीय स्वास्थ्य विभागों/मेडिकल कॉलेजों के साथ सहयोग का भी लाभ उठाती है। आज की तारीख तक ऐसी सुविधा 20 राज्यों और 2 संघ राज्य क्षेत्रों के लिए स्वीकृत की गई है।

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