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12 नवम्बर – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
जे हरषहिं पर संपति देखी ।
दुखित होहिं पर बिपति बिसेषी ।
जिन्हहि राम तुम्ह प्रानपियारे ।
तिन्ह के मन सुभ सदन तुम्हारे ।।
( अयोध्याकाण्ड 129/4)
राम राम 🙏🙏
वन जाते हुए राम जी बाल्मीकि जी के आश्रम आए हैं । राम जी ने उनसे अपने रहने का स्थान पूछा है ।बाल्मीकि जी कहते हैं कि जो दूसरों की संपदा देख प्रसन्न होते हैं तथा दूसरे के दुख में दुखी होते हैं , जिन्हें आप प्राणों के समान प्रिय हैं उनके मन आपके रहने के लिए शुभ भवन हैं
क्या ऊपर कही गई बातें आपमें हैं , यदि नहीं तो राम जी का साथ आपको नहीं है । अतएव राम जी का साथ आप चाहते हैं तो पर प्रसंशा करना , पर दुख में दुखी होना व राम जी को अपना सब कुछ मानने की आदत डालें, राम साहचर्य जरूर मिलेगा । अस्तु ! जय राम राम , जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ