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गोरखपुर-शहर से लेकर देहात तक का इलाका पानी में डूब चुका है। लगतार बढ़ रहे नदियों के जलस्तर के खौफ से लोगों ने पलायन शुरू कर दिया है।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में बाढ़ के हालत लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। शहर से लेकर देहात तक का इलाका पानी में डूब चुका है। लगतार बढ़ रहे नदियों के जलस्तर के खौफ से लोगों ने पलायन शुरू कर दिया है। पूरा का पूरा गांव या तो बांधों पर शरण ले लिया या फिर जिनके पक्के मकान हैं, वे अपनी छतों पर पनाह ले रहे हैं। जिले की सभी नदियों अपने उफान पर हैं।
हर घंटे नदियों का जलस्तर 3 से 4 इंच बढ़ रहे है। इतनी तेज बढ़ रहे पानी को देख लोग दहशत में आ गए हैं। ऐसे में अगर नदियों का जलस्तर थमा नहीं तो जल्द ही गोरखपुर जिले में बाढ़ से बड़ी तबाही मचने की संभावना को इंकार नहीं किया जा सकता।
1998 से भी बुरे हालात
शहर के निचले इलाकों की कॉलोनियों में जहां नाव चल रहे हैं, वहीं जिले में 5 जगहों पर राप्ती और रोहिन नदी के बांधों से रिसाव शुरू हो गया है। ऐसे में अगर इनमें से कोई एक बांध भी टूटा तो 1998 के बाढ़ से भी बड़ी तबाही मच सकती है। शहर के महेवा हार्बट बंधे पर बना रेग्यूलेटर में बीते दो दिनों से रिसाव हो रहा है। जबकि मानीराम कुदरिया, बनरहां विस्तार बुढ़ेली के पास, पीपीगंज मखनहां बंधे पर रिसाव, गोरखनाथ इलाके में रामपुर नयागांव गांव और बेलीपार इलाके के हार्बट बंधे पर भी रिसाव हो रहा है।हालांकि स्थानीय लोग दिन रात यहां बालू की बोरियां और अन्य जुगत करने में जुटे हुए हैं। ताकि बांध को टूटने से बचाया जा सके।
बांधों और छतों पर शरण ले रहे लोग
दरअसल, 1998 में राप्ती नदी पर स्थित लहसड़ी बांध टूट जाने से शहर का आधा हिस्सा डूब गया है। ऐसे में लहसड़ी से लेकर बड़गों और महेवा तक नदी काफी तेजी से बढ़ रही है। स्थानीय निवासी साहब यादव बताते हैं कि गांव में 1998 की बाढ़ में भी जहां पानी नहीं पहुंचा था, वहां अभी पानी आ गया है। फर्क सिर्फ इतना है कि उस वक्त बांध टूट जाने से नदी का पानी शहर में घुस गया था, अभी फिलहाल बांध सुरक्षित है। मंझारियां के रामदर्शन ने बताया कि गांव के सभी टोलों के अधिकांश घर पूरी तरह डूब चुके हैंं। ऐसे में लोग परिवार सहित मेवेशी लेकर बांधों पर शरण ले लिए हैं। कुछ लोगों ने छत को ठिकाना बनाया है।
भटहट के सरहरी के रहने वाले रिकूं गुप्ता बताते हैं कि साल 2017 में कुदरिया बांध टूटा था। जिसे बड़ी तबाही मची थी। बांध में रिसाव शुरू हो गया है। आसपास के गांवों के लोग सुरक्षित ठिकाने तलाश रहे हैं। हालांकि स्थानीय लोगों की मदद से रिसाव वाले बांध पर बालू और मिट्टी की बोरियां डाली जा रही हैं।
डिस्चार्ज की जगह अब बैक आ रहा पानी
जबकि शहर के अधिकांश इलाके अभी भी पूरी तरह जलमग्न हैं। दरअसल, शहर का पानी तीन जगहों पर डिस्चार्ज होता है। इनमें रामगढ़ताल, राप्ती नदी और गोड़दईया नाला शामिल है। लेकिन इस वक्त यह तीनों बाढ़ के कहर पर पूरी तरह उफनाए हुए हैं। ऐसे में तीनों जगहों पर शहर का पानी डिस्चार्ज होना तो दूर बल्कि अब पानी बैक मार रहा है। ऐसे में बगैर बारिश और बाढ़ के शहर के 200 से अधिक मोहल्लों में पानी जमा होता जा रहा है।
दो नेशनल हाईवे पर चढ़ा बाढ़ का पानी
उधर, मंगलवार को रोहिन नदी का पानी अपने उफान पर आकर गोरखपुर- सोनौली मार्ग पर चढ़ गया। पानी की धार काफी तेज है। ऐसे में फिलहाल तो लोग इस रास्ते से आ-जा रहे हैं, लेकिन अगर यही स्थिति रही तो 24 से 48 घंटों के अंदर नेपाल को जाने वाली गोरखपुर- सोनौली पर आवागमन बंद हो जाएगा। इसके अलावा गोरखपुर- वाराणसी मार्ग पर भी मंगलवार पर भी पानी आने की खबर है।